ड्रग तस्करी पर शिकंजा कसने को मकोका में संशोधन विधेयक विधान परिषद से पारित


महाराष्ट्र विधान परिषद ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक पारित कर दिया है, जिसके तहत अब नशीली दवाओं की तस्करी और इससे संबंधित अपराधों को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत लाया जा सकेगा। इससे पहले यह विधेयक 9 जुलाई को विधानसभा में पारित हो चुका है। अब इसे राज्यपाल की स्वीकृति मिलते ही लागू कर दिया जाएगा।

राज्य के शहरी गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने जानकारी दी कि यह बदलाव मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा 2 जुलाई को विधान परिषद में की गई घोषणा के अनुरूप किया गया है। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया था कि ड्रग तस्करी के बढ़ते खतरे को देखते हुए सरकार मकोका में संशोधन करेगी, जिससे ऐसे अपराधों पर कठोर कार्रवाई संभव हो सके।

ड्रग अपराधों को मिलेगी संगठित अपराध की मान्यता
नए संशोधन का उद्देश्य मकोका की परिभाषा का विस्तार करते हुए नशीली दवाओं से जुड़े अपराधों — जैसे उत्पादन, निर्माण, कब्जा, बिक्री और परिवहन — को भी संगठित अपराध की श्रेणी में शामिल करना है। संशोधन लागू होने के बाद इन मामलों में आरोपी को जमानत मिलना बेहद कठिन हो जाएगा।

मकोका के तहत सख्त प्रावधान
गौरतलब है कि मकोका कानून 1999 में लागू हुआ था और इसका प्रयोग अब तक संगठित गिरोह या अपराध सिंडिकेट से जुड़े अपराधों के लिए किया जाता रहा है। इसके अंतर्गत आरोपी को लंबी अवधि तक हिरासत में रखा जा सकता है, जमानत की संभावना बेहद सीमित होती है और पुलिस द्वारा दर्ज किए गए इकबालिया बयान को साक्ष्य के रूप में मान्यता प्राप्त होती है।

इसके अलावा, इस कानून के तहत जांच एजेंसियों को आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 180 दिनों का समय मिलता है, जबकि सामान्य कानूनों के तहत यह अवधि अधिकतम 90 दिन निर्धारित है।

ड्रग माफियाओं पर कसेगा कानूनी शिकंजा
इस विधेयक के पारित होने से राज्य सरकार को नशीली दवाओं के अवैध कारोबार में लिप्त संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का कानूनी आधार मिलेगा। राज्य में बढ़ती ड्रग गतिविधियों पर लगाम लगाने की दिशा में इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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