महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर मानी जाने वाली लाडकी बहिन योजना खूब सुर्खियों में रही. चुनाव के पहले और चुनाव के बाद भी इस योजना की चर्चाएं खूब होती रही हैं. इसके अलावा विपक्ष की तरफ से भी समय-समय पर इस योजना को लेकर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं.
एक शिकायत के बाद लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की जांच की जा रही है. ये जांच कई महिलाओं के लिए चिंता का विषय बन सकती है. इसके अलावा महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार का बयान भी सामने आया है. जिसमें उन्होंने इस योजना का लाभ उठा रही महिलाओं को चेताया है. पवार ने कहा कि जो लोग टैक्स देते हैं, वे भी योजना का लाभ उठा रहे हैं. उन्हें स्वयं ही इसका लाभ छोड़ देना चाहिए.
योजना के बारे में क्या बोले डिप्टी सीएम पवार?
एनसीपी प्रमुख और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने माझी लाडकी बहिन योजना (लाडली बहन योजना) अपात्र महिला लाभार्थियों से स्वेच्छा से हटने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि इस योजना को शुरू करने के पीछे की वजह आर्थिक रूप से वंचित महिलाएं हैं. जो टैक्स पेयर परिवार हैं, उनको समझदारी बरतते हुए खुद ही इसका लाभ छोड़ देना चाहिए, ताकि सहायता जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके.
इसके साथ ही इस समय महाराष्ट्र में महिलाएं इस योजना की किस्त का इंतजार भी कर रही हैं, जिसको लेकर डिप्टी सीएम ने कहा कि पात्र महिलाओं को 26 जनवरी तक हर महीने 1,500 रुपये का भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा.
कब और किसने की थी योजना की शुरुआत
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना की शुरुआत साल 2024 के अगस्त के माह में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुरू की थी. इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के खाते में 1,500 रुपये हर महीने डाले जाते थे. जिन महिलाओं के परिवार की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, उन्हें इस योजना का लाभ दिया जाता है.
इस योजना में जिन महिला के घर में चार पहिया वाहन हो वे इस योजना का लाभ नहीं ले सकतीं है, वहीं एक घर में दो महिलाएं भी इसका लाभ नहीं उठा सकतीं हैं. हालांकि, इसके बावजूद कई महिलाओं ने लाडली बहना योजना का लाभ उठाया है, जबकि वे नियमों में फिट नहीं बैठती हैं.