महाराष्ट्र राज्य निर्वाचन आयोग ने आठ वर्ष बाद स्थानीय निकाय चुनावों में उम्मीदवारों के खर्च की सीमा में बड़ा संशोधन किया है। आयोग ने गुरुवार को नई सीमा जारी करते हुए बताया कि मुंबई, पुणे और नागपुर जैसे ए-क्लास नगर निगमों में उम्मीदवार अब अधिकतम 15 लाख रुपये तक चुनावी खर्च कर सकेंगे। यह कदम आगामी निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
आयोग के अनुसार, ए-क्लास नगर निगमों — मुंबई, पुणे और नागपुर — के लिए उम्मीदवारों की खर्च सीमा 15 लाख रुपये तय की गई है। बी-क्लास नगर निगमों, जैसे पिंपरी-चिंचवड़, नासिक और ठाणे के लिए यह सीमा 13 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
सी और डी श्रेणी के नगर निगमों के लिए अलग सीमा
सी-क्लास नगर निगमों, जिनमें कल्याण-डोंबिवली, नवी मुंबई, छत्रपति संभाजीनगर और वसई-विरार शामिल हैं, में उम्मीदवार 11 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। वहीं, शेष 19 डी-क्लास नगर निगमों में यह सीमा 9 लाख रुपये तय की गई है। यह संशोधन वर्ष 2017 के बाद पहली बार किया गया है।
नगर परिषदों और पंचायतों के लिए भी नई खर्च सीमा
आयोग ने नगर परिषदों और पंचायतों के लिए भी नई व्यवस्था लागू की है। ए-क्लास नगर परिषद में अध्यक्ष पद के लिए खर्च सीमा 15 लाख रुपये, जबकि सदस्य के लिए 5 लाख रुपये तय की गई है। बी-क्लास नगर परिषदों में यह क्रमशः 11.25 लाख और 3.5 लाख रुपये, तथा सी-क्लास में 7.5 लाख और 2.5 लाख रुपये निर्धारित की गई है।
ग्राम पंचायतों के लिए विस्तृत गाइडलाइन
जिला परिषदों और पंचायत समितियों में भी खर्च सीमा को पुनर्निर्धारित किया गया है। 71 से 75 सीटों वाली जिला परिषदों में सदस्य 9 लाख रुपये, और पंचायत समिति सदस्य 6 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे। वहीं, ग्राम पंचायतों में सात से नौ सदस्यीय पंचायतों के लिए सरपंच को 75 हजार रुपये, और सदस्य को 40 हजार रुपये खर्च करने की अनुमति होगी। 11 से 13 सदस्यीय पंचायतों में यह सीमा क्रमशः 1.5 लाख और 55 हजार रुपये, जबकि 15 से 17 सदस्यीय पंचायतों में 2.65 लाख और 75 हजार रुपये तय की गई है।
राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि यह संशोधन बढ़ती महंगाई, चुनावी पारदर्शिता और समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है। सभी उम्मीदवारों को नई खर्च सीमा का कड़ाई से पालन करना अनिवार्य होगा।