मालेगांव विस्फोट मामला: पीड़ित परिवारों ने एनआईए कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी

मालेगांव विस्फोट मामले में शहीदों के छह परिजनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की है। इन परिवारों ने विशेष एनआईए अदालत के उस निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सात आरोपी बरी कर दिए गए थे। अपील सोमवार को निसार अहमद, सैयद बिलाल और अन्य ने अपने वकील मतीन शेख के माध्यम से दाखिल की।

29 सितंबर 2008 को मालेगांव की एक मस्जिद के पास खड़ी मोटरसाइकिल में विस्फोट हुआ था। इस धमाके में छह लोगों की मौत हुई और 101 लोग घायल हुए थे। घटना नासिक जिले के संवेदनशील इलाके में हुई थी, जिसने पूरे देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचल मचा दी थी।

पीड़ित परिवारों का कहना है कि 31 जुलाई को एनआईए कोर्ट द्वारा आरोपियों को बरी करने का निर्णय गलत और कानून के खिलाफ है। उनका आरोप है कि अदालत ने सबूतों को नजरअंदाज किया और संदेह का लाभ देकर आरोपियों को बरी कर दिया।

एनआईए कोर्ट के विशेष जज ए. के. लाहोटी ने फैसले में कहा था कि संदेह को सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने अभियोजन पक्ष को ठोस और भरोसेमंद सबूत पेश करने में असफल बताया, जिससे आरोपियों की दोषसिद्धि नहीं हो सकी।

अभियोजन का आरोप था कि धमाके को दक्षिणपंथी उग्रवादियों ने अंजाम दिया था, जिनका उद्देश्य मालेगांव जैसे संवेदनशील शहर में मुस्लिम समुदाय को आतंकित करना था। हालांकि अदालत ने जांच और सबूतों में कई कमियों की ओर ध्यान आकर्षित किया।

अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर, प्रसाद पुरोहित के अलावा मेजर रमेश उपाध्याय (सेवानिवृत्त), अजय रहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी को भी बरी कर दिया। अब पीड़ित परिवार हाईकोर्ट से विशेष अदालत के फैसले की समीक्षा की उम्मीद कर रहे हैं और न्याय की अपेक्षा कर रहे हैं।

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