मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल का आंदोलन लगातार तेज़ होता जा रहा है। शुक्रवार से मुंबई के आजाद मैदान में उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की थी, जो सोमवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गई। आंदोलन के कारण शहर की रफ्तार थम सी गई है और कई इलाकों में ट्रैफिक जाम देखने को मिला।
सोमवार को आंदोलन का पहला कार्यदिवस होने से दफ्तरों और कामकाज पर इसका सीधा असर पड़ा। मुंबई की सड़कों पर जगह-जगह अफरा-तफरी का माहौल है। पुलिस ने संवेदनशील मार्गों पर बड़ी संख्या में जवान और दंगा नियंत्रण दस्ता तैनात किया है, ताकि हालात बेकाबू न हों। बावजूद इसके, कामकाजी दिन होने से यातायात प्रभावित रहा और आंदोलनकारी पुलिस से भिड़ते भी नजर आए।
महिलाओं की बड़ी संख्या में भागीदारी ने प्रदर्शन को और उग्र बना दिया। आंदोलनकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके साथ सख्ती कर रही है। एक महिला ने कहा, “हम चार दिन से आंदोलन कर रहे हैं। थोड़ी देर नहाने गए थे और लौटने पर पुलिस ने हमें आगे बढ़ने नहीं दिया। हम आतंकवादी नहीं, महिलाएं हैं।” प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठकर नारेबाजी करते रहे और “एक मराठा, लाख मराठा” जैसे नारे लगाए।
पुलिस लगातार समझाने और यातायात बहाल करने की कोशिश कर रही है, लेकिन आंदोलनकारियों के सड़क जाम ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी। अब सवाल यह है कि क्या आने वाले दिनों में कोई समाधान निकल पाएगा या हालात और बिगड़ेंगे।
इधर, जरांगे के स्वास्थ्य को लेकर चिंता गहराने लगी है। डॉक्टरों ने रविवार रात उनकी जांच की और कहा कि यदि उन्होंने पानी भी त्याग दिया तो स्थिति गंभीर हो सकती है। इसी बीच खबर है कि राज्य सरकार आंदोलन पर चर्चा के लिए अहम बैठक बुला सकती है।
जरांगे की मांग
जरांगे का कहना है कि मराठा समाज को कुनबी श्रेणी में शामिल कर आरक्षण दिया जाए। वे ओबीसी वर्ग में मराठों के लिए 10% कोटे की मांग कर रहे हैं और इसे पात्रता आधारित अधिकार बता रहे हैं।