मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे मनोज जरांगे ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि उनका आंदोलन अब खत्म हो गया है, क्योंकि सरकार के साथ समाधान निकल आया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की खंडपीठ ने इस बात को स्वीकार किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं और दर्ज शिकायतों पर जवाब देना जरूरी है।
कोर्ट ने सवाल उठाया कि आंदोलन के दौरान सरकारी संपत्ति को जो नुकसान हुआ, उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? जरांगे की ओर से पेश वकील सतीश मानशिंदे और वी. एम. थोराट ने दलील दी कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहा और केवल जनता को असुविधा हुई, किसी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। अदालत ने निर्देश दिया कि जरांगे और आंदोलन से जुड़ी संस्थाएं हलफनामा दाखिल करें, जिसमें स्पष्ट किया जाए कि वे किसी भी हिंसा या तोड़फोड़ के लिए जिम्मेदार नहीं हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि यदि हलफनामे में इनकार नहीं किया गया तो उन्हें उपद्रव भड़काने वाला माना जाएगा। अदालत ने चार सप्ताह का समय दिया है ताकि हलफनामा पेश किया जा सके।
“मराठा समाज को मिलेगा आरक्षण”
जरांगे ने भरोसा जताया कि मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा समाज को अब आरक्षण का लाभ मिलेगा। उन्होंने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने और सरकार पर विश्वास करने की अपील की। पांच दिन की भूख हड़ताल खत्म करने के बाद छत्रपति संभाजीनगर लौटे जरांगे वर्तमान में एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है।
जरांगे ने कहा कि यह आंदोलन मराठा समाज की जीत है और इसका पूरा श्रेय समुदाय को जाता है। मंगलवार को सरकार ने उनकी अधिकांश मांगें मान लीं, जिनमें मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने का निर्णय भी शामिल है। इससे उन्हें ओबीसी कोटे में शिक्षा और नौकरियों का लाभ मिलेगा।
आजाद मैदान में भाजपा नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल और समिति के अन्य सदस्यों की मौजूदगी में जरांगे को जूस पिलाकर भूख हड़ताल खत्म कराई गई। उन्होंने कहा कि अब तक सरकार ने मराठाओं के पक्ष में कोई ठोस कदम नहीं उठाया था, लेकिन अब गजट आधारित आदेश जारी हुआ है, जिसे अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। जरांगे ने भरोसा जताया कि गांव-गांव समितियां बनाई जाएंगी जो कुनबी वंशावली की पुष्टि कर मराठा समाज को आरक्षण का लाभ दिलाने में मदद करेंगी।