मुंबई से सटे कल्याण डोम्बिवली महानगपालिका में आने वाले 65 इमारतों के कलस्टर पर हथौड़ा चलेगा. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इन सभी इमारतों को अवैध करार दिया है. इस संबंध में हाई कोर्ट के ताजा आदेश के बाद करीब 10 से 15 साल से यहां रहने वाले पिवारों के सामने पुर्नवास का संकट खड़ा हो गया है. इन सभी लोगों को एक सप्ताह के अंदर फ्लैट करने का अल्टीमेटम दिया गया है. एक अनुमान के मुताबिक इन इमारतों में करीब 6500 लोग रह रहे हैं. जानकारी के मुताबिक अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई से लोगों ने इन इमारतों में फ्लैट्स खरीदे थे.
इनमें भी ज्यादातर फ्लैट ओनर्स ने बैंक से लोन लिया है. उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी भी मिल गई. इसके बाद यह रह रहे लोगों ने इन्हीं फ्लैट्स के पते पर अपने सभी लीगल दस्तावेज बना लिए. अब इन लोगों को बताया गया है कि बिल्डर ने उनके साथ धोखाधड़ी की है. बिल्डरों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ना केवल रेरा अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन कराया, बल्कि सारे फ्लैट्स बेच भी दिए. इस संबंध में कोर्ट में मामला आने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर इन इमारतों को गिराने का आदेश दिया है.
बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई की मांग
इसकी जिम्मेदारी केडीएमसी को दी है. इस आदेश के बाद केडीएमसी ने इन इमारतों को गिराने की तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे हालात में अब फ्लैट मालिक सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस घोटाले से वह अनजान थे. चूंकि घोटाला बिल्डर ने किया है, इसलिए जो भी कार्रवाई हो वह बिल्डर के ही खिलाफ होनी चाहिए. तर्क दिया है कि उन लोगों फ्लैट्स खरीदने से पहले पूरी जांच पड़ताल की थी और सभी दस्तावेज भी देखे थे. इसी बिनाह पर उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना की सब्सिडी भी मिली थी.
2022 में उजागर हुआ घोटाला
जानकारी के मुताबिक यह घोटाला 2022 में आर्किटेक्ट संदीप पाटिल उजागर किया था. उन्होंने इस संबंध में केडीएमसी में शिकायत दी और यहां सुनवाई नहीं होने पर हाईकोर्ट चले गए थे. हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई तो पता चला कि 2019 से 2022 के बीच बिल्डरों ने नकली बिल्डिंग प्लान बनाकर रेरा से मंजूरी ली और सारे फ्लैट्स बेच दिए. इस संबंध में केडीएमसी ने बिल्डर के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कराईं है. अब तक इस मामले में 15 लोग अरेस्ट हो चुके हैं.
हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में ही इन इमारतों को गिराने का आदेश दिया था. इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों ने इन इमारतों के नियमितीकरण की अपील की, लेकिन हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए इसी हफ्ते इन इमारतों को गिराने के आदेश दिए हैं. इससे लोगों में काफी आक्रोश है. प्रभावित लोगों ने कहा कि यह घोटाला केडीएमसी के अधिकारियों के साथ बिल्डर ने मिलीभगत कर अंजाम दिया है. कार्रवाई इनके खिलाफ होनी चाहिए, लेकिन जो लोग जीवन भर की जमा पूंजी लगा चुके हैं, उनके घर गिराए जा रहे हैं.