महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (यूबीटी) के साथ संभावित गठबंधन पर किसी भी तरह की टिप्पणी से परहेज किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मीडिया के एक वर्ग ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया है।
राज ठाकरे ने ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि यदि उन्हें कोई राजनीतिक बात रखनी होगी, तो वह प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ही करेंगे। उन्होंने बताया कि हाल ही में 14 और 15 जुलाई को नासिक के इगतपुरी में पार्टी पदाधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई थी, जहां पत्रकारों के साथ अनौपचारिक चर्चा भी हुई।
अनौपचारिक बातचीत को पेश किया गया गलत तरीके से
राज ठाकरे ने बताया कि पत्रकारों से बातचीत के दौरान उनसे पांच जुलाई को मुंबई में हुई ‘विजय रैली’ को लेकर सवाल किया गया। उन्होंने जवाब में कहा कि यह रैली ‘मराठी अस्मिता’ के सम्मान में आयोजित की गई थी और इसका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं था। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन पर विचार कर रहे हैं, तो उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा, “क्या मैं इस पर आपसे अभी बात करूं?”
‘मेरे शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा गया’
राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि उन्होंने जो बातें कहीं ही नहीं, उन्हें उनके नाम से प्रचारित किया गया। यह भी कहा गया कि गठबंधन को लेकर निर्णय स्थानीय चुनावों की स्थिति को देखकर लिया जाएगा, जबकि यह उन्होंने कहा ही नहीं। राज ने कहा कि अनौपचारिक बातचीत की मर्यादा को समझना चाहिए। पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने लंबे अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कुछ पत्रकारों के गैर-पेशेवर रवैये पर भी नाराज़गी जताई।
ठाकरे बंधुओं का मंच साझा करना बना चर्चा का विषय
पांच जुलाई को राज्य सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने संबंधी विवादित निर्णयों को वापस लेने के बाद, दोनों ठाकरे भाइयों ने लगभग 20 वर्षों के बाद एक साथ मंच साझा किया था। इस मौके को कई लोगों ने संभावित राजनीतिक गठजोड़ के संकेत के रूप में देखा।
उद्धव गठबंधन को लेकर उत्सुक, राज अब भी सतर्क
जहां उद्धव ठाकरे आगामी बीएमसी और अन्य निकाय चुनावों को लेकर गठबंधन के पक्ष में नज़र आ रहे हैं, वहीं राज ठाकरे ने फिलहाल किसी ठोस निर्णय की घोषणा नहीं की है। इगतपुरी में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि पांच जुलाई की रैली सिर्फ मराठी हितों पर केंद्रित थी और उसमें किसी राजनीतिक गठबंधन की बात नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि मनसे चुनावी रणनीति का निर्धारण नगर निकाय चुनावों की अधिसूचना के बाद ही करेगी।
2005 से अलग राह पर हैं दोनों ठाकरे
गौरतलब है कि राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से मतभेदों के चलते अलग होकर मनसे की स्थापना की थी। इसके बाद से दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरते रहे हैं। हालांकि समय-समय पर उनके पुनः एकजुट होने की अटकलें भी लगती रही हैं।