मुंबई में ओला-उबर ड्राइवरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल, कमाई और सुविधाओं को लेकर नाराजगी

मुंबई में ओला, उबर और रैपिडो जैसे ट्रैवल ऐप्स से जुड़े हजारों ड्राइवरों ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। ड्राइवरों का कहना है कि बढ़ती ईंधन कीमतें और कंपनियों द्वारा वसूले जा रहे ऊंचे कमीशन ने उनकी आमदनी को बेहद प्रभावित किया है। इन परिस्थितियों में उनकी आय टिकाऊ नहीं रही, इसी वजह से वे अब सड़क पर उतरने को मजबूर हैं।

हड़ताल के चलते शहर भर में यात्रियों को आवाजाही में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एयरपोर्ट, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, अंधेरी और दक्षिण मुंबई जैसे इलाकों में कैब सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

मांगें: किराए में समानता और ड्राइवरों के हितों की सुरक्षा

ड्राइवर यूनियनों की प्रमुख मांग है कि ऐप आधारित कैब्स का किराया काली-पीली टैक्सियों के बराबर किया जाए। इसके अलावा, गिग वर्कर्स के कल्याण के लिए एक स्थायी बोर्ड गठित करने की मांग भी उठाई जा रही है। बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक लगाने की मांग भी ड्राइवरों के बीच प्रमुख मुद्दा बनी हुई है।

हड़ताल का नेतृत्व महाराष्ट्र गिग कामगार मंच, महाराष्ट्र राज्य राष्ट्रीय कामगार संघ और भारतीय गिग वर्कर्स फ्रंट जैसे संगठनों द्वारा किया जा रहा है। इनका कहना है कि ईंधन, वाहन रखरखाव और कंपनी के हिस्से में कटौती के बाद ड्राइवरों की प्रति किलोमीटर कमाई घटकर 8 से 12 रुपये तक रह गई है।

प्लेटफॉर्म छूट से भी नाराज ड्राइवर

ड्राइवरों ने यह भी आरोप लगाया कि ऐप कंपनियां ग्राहकों को जो छूट देती हैं, उसका भार ड्राइवरों की जेब पर डाल दिया जाता है। वे चाहते हैं कि इस तरह की छूट की भरपाई कंपनी खुद करे, ताकि उनकी आय और अधिक न गिरे।

नीति का ऐलान हुआ, अमल नहीं

राज्य सरकार ने एक साल पहले एग्रीगेटर नीति की घोषणा की थी, जिसमें किराए, लाइसेंस और सेवा शर्तों को लेकर दिशा-निर्देश शामिल हैं। हालांकि, अब तक इसे औपचारिक रूप से लागू नहीं किया गया है। ड्राइवरों का कहना है कि इसी लापरवाही की वजह से उन्हें प्लेटफॉर्म कंपनियों के असंतुलनपूर्ण नियमों का सामना करना पड़ रहा है।

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