महाराष्ट्र में भाषा से जुड़ा विवाद एक बार फिर सियासी बहस का केंद्र बन गया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के हालिया बयान ने इस मुद्दे को और अधिक गंभीर बना दिया है। दुबे द्वारा सोशल मीडिया पर मराठी समुदाय और हिंदी भाषियों को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। जहां भाजपा अब इस बयान से दूरी बनाती नजर आ रही है, वहीं विपक्ष इसे लेकर हमलावर रुख अपनाए हुए है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी और मंत्री आशीष शेलार ने स्पष्ट किया कि मराठी समाज की गौरवशाली विरासत पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता। उन्होंने कहा कि देश की पहली नौसेना से लेकर विश्व की पहली फिल्म निर्माण तक मराठी समाज का योगदान उल्लेखनीय रहा है। शेलार ने कहा कि भाजपा मराठी हितों के प्रति प्रतिबद्ध है और किसी भी भाषा-भाषी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
क्या बोले निशिकांत दुबे?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर मराठी समाज के खिलाफ विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने शिवसेना, मनसे और एनसीपी की तुलना अपराधियों और आतंकी संगठनों से करते हुए मराठी समुदाय पर सवाल उठाए। साथ ही मुंबई में हिंदी भाषियों पर हुए कथित हमलों और उर्दू भाषियों की भूमिका का भी जिक्र किया।
विपक्ष का विरोध और उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया
इस बयान के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी के खिलाफ नहीं है, लेकिन मराठी समाज की तुलना आतंकवादियों से करना निंदनीय है और इससे भाजपा की मराठी विरोधी मानसिकता सामने आती है। ठाकरे ने कहा कि भाजपा अब वह पार्टी नहीं रही जो कभी शिवसेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती थी।
आदित्य ठाकरे का आरोप – विभाजनकारी राजनीति
शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने भाजपा पर ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व नहीं करते और महाराष्ट्र की विविधता को ठेस पहुंचा रहे हैं। आदित्य ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में हर भाषा और संस्कृति को समान सम्मान दिया जाता है।
कांग्रेस का बयान – शिक्षा को लेकर भ्रम न फैलाएं
कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे पाटिल ने भी दुबे की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि यह मुद्दा भाषा नहीं बल्कि शिक्षा और मातृभाषा को लेकर है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सभी भाषाओं का आदर करती है लेकिन बच्चों की शिक्षा के मामले में भ्रम फैलाना उचित नहीं है।
भाजपा ने बनाई दूरी, विपक्ष ने साधा निशाना
भाजपा के कई नेताओं ने संकेत दिया है कि पार्टी निशिकांत दुबे के निजी बयान से सहमत नहीं है और वह इससे किनारा कर रही है। लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को मराठी अस्मिता से जोड़कर सरकार को घेरने में जुटा है। राज्य में एक बार फिर भाषा का मुद्दा राजनीतिक तापमान को बढ़ा रहा है।