महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर संघर्ष और तेज हो गया है। कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटील मुंबई के आज़ाद मैदान में भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जिसके चलते माहौल गर्म है। इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री चंद्रकांत पाटील ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आंदोलन पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन की अनुमति दी गई है, लेकिन आम नागरिकों को बंधक बनाना गलत है।
“फडणवीस शिवाजी महाराज के पदचिन्हों पर”
पाटील ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस छत्रपति शिवाजी महाराज की राह पर काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी तुलना महाराज से करना विवाद को जन्म दे सकता है।
आरक्षण की वैधता पर सवाल
मराठा आरक्षण पर बोलते हुए पाटील ने स्पष्ट किया कि जिनके पास कानूनी प्रमाणपत्र नहीं है, उन्हें ओबीसी कोटे का लाभ नहीं दिया जा सकता। दबाव में लिए गए फैसले अदालत में टिक नहीं पाएंगे। उन्होंने शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि चार बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उन्होंने तमिलनाडु की तर्ज पर आरक्षण क्यों नहीं दिया।
पाटील ने यह भी कहा कि मराठा समाज सामाजिक रूप से पिछड़ा वर्ग नहीं है, उन्हें दलित समुदाय की तरह भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। उनके अनुसार, वास्तविक आरक्षण ईडब्ल्यूएस के अंतर्गत ही है और पिछड़ा वर्ग घोषित करने का अधिकार केवल आयोग के पास है, किसी समिति के पास नहीं।
“आंदोलन राजनीति से प्रेरित”
पाटील ने आंदोलन को राजनीतिक बताते हुए कहा कि यह पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण का फायदा लेने की कोशिश है। उनके मुताबिक आंदोलन का मकसद समाज को बांटने के बजाय सत्ता और पदों के लिए संघर्ष करना है।
संजय राउत का केंद्र पर हमला
उधर शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कोने-कोने से लोग आंदोलन में शामिल होने पहुंचे हैं और भारी बारिश के बावजूद पाटील अनशन पर डटे हैं। राउत ने गृहमंत्री अमित शाह पर सवाल उठाते हुए कहा कि कश्मीर से धारा 370 हटाने वाले शाह आंदोलनकारियों से मिलने क्यों नहीं गए?
उद्धव ठाकरे का आह्वान
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिवसैनिकों से आंदोलनकारियों को भोजन-पानी और आश्रय देने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह मराठी समाज की ताकत है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। ठाकरे ने आरोप लगाया कि बीजेपी से जुड़े नेता जरांगे पाटील के साथ खुलकर खड़े नहीं हो रहे हैं और दबाव में चुप हैं।
शिंदे-फडणवीस सरकार पर तीखे वार
ठाकरे गुट ने शिंदे-फडणवीस सरकार पर भी निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह सरकार मराठी समाज की अनदेखी कर रही है। आंदोलनकारियों की मौतों को उन्होंने किसान आंदोलन की याद दिलाने वाला बताया और कहा कि सरकार आंदोलनकारियों की कुर्बानी की जिम्मेदार है।