मुंबई के पवई इलाके में स्थित आरए स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्या की गोली लगने से मृत्यु के मामले में स्वतंत्र मजिस्ट्रेटीय जांच शुरू कर दी गई है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून व व्यवस्था) सत्यनारायण चौधरी ने बताया कि कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मजिस्ट्रेट जांच अनिवार्य है।
घटना का संक्षेप — पुलिस बचाव ऑपरेशन के दौरान गोली लगी
पुलिस के मुताबिक, बीते गुरुवार दोपहर करीब 1:30 बजे सूचना मिली कि महावीर क्लासिक बिल्डिंग में आरए स्टूडियो के अंदर एक शख्स ने बच्चों को बंधक बना रखा है। पवई पुलिस की त्वरित कार्रवाई में क्यूआरटी, बम निरोधक दस्ते और दमकल टीम मौके पर पहुंचे। पुलिस का दावा है कि आर्या बंधक नहीं छोड़ रहे थे और उनके पास एक एयरगन व कुछ ज्वलनशील/रासायनिक सामग्री भी थी, इसलिए कार्रवाई बेहद सावधानी से करनी पड़ी। प्रारंभिक रवैये के बाद आर्या पर पुलिसकर्मी ने जवाबी गोली चलाई; उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया।
पोस्टमार्टम व अंतिम संस्कार
रोहित का पोस्टमार्टम जे.जे. अस्पताल में किया गया। शव बाद में पुणे उनके परिवार को सौंपा गया और शनिवार तड़के उनके परिवार के करीबी सदस्यों ने अंतिम संस्कार किया। पुलिस ने बताया कि रोहित कुछ समय से परिवार से अलग रह रहे थे और शुरुआती जांच में उनके परिवार से संपर्क बहुत सीमित पाया गया।
ऑडिशन का झांसा — करीब 100 बच्चों को बुलाया गया था
पुलिस के अनुसार, पुणे निवासी आर्या ने एक वीडियो जारी कर वेब-सीरीज के लिए ऑडिशन का आग्रह किया था और लगभग 15 वर्ष के करीब करीब 100 बच्चों को बुलाया गया था। बाद में इनमें से 17 बच्चों और दो अन्य लोगों को ही स्टूडियो में बंधक बनाया गया।
आर्या के दावे: सरकारी भुगतान बकाया था
तफ्तीश में सामने आया है कि रोहित का दावा था कि उन्हें एक स्कूल से जुड़े सरकारी टेंडर के काम के भुगतान के रूप में लगभग दो करोड़ रुपये बकाया थे और वह भुगतान न मिलने के चलते आंदोलन कर चुके थे। मौके पर मौजूद दस्तावेजों व शिकायतों की जांच महाराष्ट्र सरकार भी करवा रही है; राज्य मंत्री ने संबंधित रिपोर्ट मांगी है।
सोशल मीडिया वीडियो में धमकी और मंशा
बंदूक की आवाज़ों के बाद आर्या ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर स्टूडियो में आग लगाने की धमकी दी थी और कहा था कि वह आत्महत्या नहीं करना चाहता बल्कि कुछ सवालों के उत्तर चाहता है। वीडियो में वह बार-बार यह भी कहता दिखा कि वह आतंकवादी नहीं है और उसकी मांगें साधारण हैं; साथ ही उसने कहा कि अगर उसकी बात नहीं मानी गई तो बच्चों को खतरा हो सकता है।
पुलिस का रुख और बच्चों की सुरक्षा पर जोर
संयुक्त पुलिस आयुक्त चौधरी ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा पुलिस की सर्वोच्च प्राथमिकता थी और दो घंटे तक समझाने के बावजूद जब आरोपी बंधकों को छोड़ने से इंकार कर रहा था तो ऑपरेशन आवश्यक हुआ। उन्होंने बताया कि आर्या ने पहले हवा में गोली भी चलाई थी, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई हुई।
जांच जारी — मजिस्ट्रेटी पूछताछ व फॉरेंसिक परीक्षा
मामले में मजिस्ट्रेटीय कार्रवाई के साथ-साथ फोरेंसिक, और घटनास्थल से मिले रासायनिक/ऑपरेशन से जुड़े साक्ष्यों की जांच चल रही है। पुलिस ने बच्चों तथा उनके परिजनों से भी बयान दर्ज कर लिए हैं और मामले की गहनता से पड़ताल जारी है।