महाराष्ट्र में आरक्षण को लेकर राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। मराठा समुदाय की मांग को मानते हुए सरकार द्वारा जारी आदेश के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समाज में नाराज़गी बढ़ गई है। मंगलवार को जारी शासनादेश (जीआर) के खिलाफ बुधवार को कई जिलों में ओबीसी संगठनों ने विरोध-प्रदर्शन किया।
ओबीसी समाज का आरोप है कि राज्य सरकार मराठा समाज को ओबीसी श्रेणी में शामिल करने की कोशिश कर रही है, जिससे उनके आरक्षण अधिकारों पर संकट खड़ा हो सकता है।
जालना में विरोध प्रदर्शन
जालना जिले में ओबीसी कार्यकर्ताओं ने सरकार के आदेश की प्रतियां फाड़कर पैरों तले रौंदी और जमकर नारेबाजी की। वहीं, इगतपुरी तहसील में समता परिषद, बारा बलुतेदार संघ और अन्य संगठनों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर स्पष्ट कहा कि मराठा समाज को अलग से आरक्षण दिया जाए, न कि ओबीसी वर्ग में शामिल कर उनके हिस्से में कटौती की जाए। संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं हुआ तो राज्यव्यापी आंदोलन तेज किया जाएगा।
गोंदिया और बीड में जीआर की होली
गोंदिया में ओबीसी संगठनों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर शासनादेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। इसी तरह बीड में भी समता परिषद और ओबीसी संगठनों ने जीआर की होली कर सरकार से हैदराबाद गजट लागू करने का फैसला वापस लेने की मांग की।
ओबीसी समाज की चेतावनी
ओबीसी नेताओं का कहना है कि आरक्षण सामाजिक न्याय की लड़ाई का परिणाम है और इसमें किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं होगा। उनका आरोप है कि सरकार मराठा समाज को ओबीसी वर्ग में लाकर अन्याय कर रही है, जबकि आरक्षण का हक केवल असली हकदारों को मिलना चाहिए।