शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत की नई किताब ‘हेल टू हेवेन’ ने राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। किताब में ईडी की कार्रवाई, विपक्षी नेताओं पर दबाव और पार्टी बदलने जैसी घटनाओं का जिक्र है। बीजेपी और कई नेताओं पर तीखे आरोप लगाते हुए किताब ने महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मचा दी है।
ईडी के डर से बदली पार्टी: रवींद्र वाईकर का जिक्र
किताब में बताया गया है कि कैसे शिवसेना के वफादार नेता रवींद्र वाईकर, ईडी की कार्रवाई से डरे हुए थे। किरीट सोमैया ने वाईकर पर जमीन घोटाले का आरोप लगाया, जिससे ईडी की गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई। डर के कारण वाईकर मातोश्री पहुंचे और अपनी चिंता जाहिर की। उद्धव ठाकरे भी उस समय हताश थे। आखिरकार, वाईकर ने पार्टी छोड़कर शिंदे गुट का दामन थाम लिया, जिसके बाद सभी आरोप हट गए।
हसन मुश्रीफ का गृह मंत्री न बन पाने का खुलासा
राउत ने किताब में खुलासा किया है कि ठाकरे सरकार में गृह मंत्री पद के लिए हसन मुश्रीफ को प्राथमिकता दी जा रही थी, लेकिन उनके धर्म के कारण यह संभव नहीं हो सका। शरद पवार को आशंका थी कि मुसलमान होने के कारण उन्हें निशाना बनाया जाएगा। अंततः अनिल देशमुख को गृह मंत्री बनाया गया।
सत्ता संघर्ष और राजनीतिक दांवपेंच
किताब में महा विकास अघाड़ी सरकार के गठन और गृह मंत्री पद को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान का भी जिक्र है। जयंत पाटिल और छगन भुजबल के नाम पर विचार हुआ, लेकिन अंततः अनिल देशमुख को गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
संजय राउत की इस किताब ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बना दिया है। विमोचन से पहले ही इसमें किए गए दावों पर बहस छिड़ चुकी है।