महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री अजित पवार के हालिया बयान पर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। ‘वोट दो नहीं तो फंड नहीं’ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी–शरदचंद्र पवार (राकांपा-एसपी) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि वित्तीय प्रलोभन को आधार बनाकर वोट मांगना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के विपरीत है।
बारामती में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शरद पवार ने स्पष्ट कहा कि जनता को विकास कार्यों और विश्वसनीय कामकाज के आधार पर ही निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने उपमुख्यमंत्री के बयान को अनुचित बताते हुए कहा कि राजनीतिक दलों को धनराशि के वादों के सहारे चुनाव नहीं लड़ने चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह राकांपा के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बारामती के मालेगांव में मतदाताओं से कहा था कि यदि उनकी पार्टी को समर्थन मिला तो विकास कार्यों के लिए फंड की कमी नहीं होने दी जाएगी, लेकिन यदि मतदाता उन्हें नकारते हैं तो वे भी ‘नकार’ देंगे। राज्य में 2 दिसंबर को स्थानीय निकायों के चुनाव होने हैं, जिस दौरान यह विवादित बयान सामने आया।
राज्य कोषागार पर नियंत्रण और फंड आवंटन को लेकर छिड़ी बहस पर शरद पवार ने कहा कि हाल के दिनों में इस बात की होड़ लग गई है कि कौन कितना फंड देगा। उन्होंने कहा कि काम का लेखा-जोखा पेश करने की बजाय वित्तीय आश्वासनों का सहारा लिया जा रहा है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है।
भारी बारिश और बाढ़ से प्रभावित किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुए शरद पवार ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित राहत अपर्याप्त है। राज्य सरकार ने एक वर्ष के लिए कर्ज वसूली रोकने का फैसला किया है, लेकिन पवार के अनुसार यह केवल तात्कालिक राहत है। उन्होंने मांग की कि फसल क्षति को देखते हुए किसानों को उचित वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए, ताकि वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकें।