मराठा आरक्षण पर नहीं लगी रोक, कोर्ट में चली दलीलों की जंग

महाराष्ट्र सरकार द्वारा SEBC अधिनियम के तहत मराठा समुदाय को नौकरियों और उच्च शिक्षा में 10% आरक्षण प्रदान किया गया था। इस फैसले के खिलाफ और समर्थन में कई याचिकाएं हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं। बुधवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में मराठा आरक्षण की वैधता पर पुनः सुनवाई आरंभ हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि वह मई माह से इस विषय पर सभी लंबित याचिकाओं की सुनवाई शुरू करे, क्योंकि इन याचिकाओं के चलते कई मराठा छात्रों को उच्च शिक्षा में आरक्षण मिलने में अड़चनें आ रही थीं।

बॉम्बे हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे की अध्यक्षता में विशेष तीन सदस्यीय पीठ ने सुनवाई की। शुरुआती दौर में यह बहस हुई कि मामले को अंतरिम राहत की दृष्टि से सुना जाए या सीधे अंतिम निर्णय की ओर बढ़ा जाए। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने मांग की कि जब तक अगली तारीख तय नहीं होती, तब तक सुनवाई स्थगित रहे, जबकि सरकारी पक्ष चाहता था कि अंतिम सुनवाई शुरू की जाए।

राज्य के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने कोर्ट में दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही अंतरिम राहत प्रदान की हुई है, इसलिए नए सिरे से अंतरिम सुनवाई की जरूरत नहीं है और सीधे अंतिम बहस शुरू होनी चाहिए।

विरोधी पक्ष के वकील प्रदीप संचेती ने कहा कि अलग-अलग याचिकाकर्ताओं ने भिन्न मुद्दे उठाए हैं और सभी को अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार मिलना चाहिए। इस पर अदालत ने सभी पक्षों को अपनी-अपनी दलीलें रखने की अनुमति देने का संकेत दिया।

अदालत ने आगे की सुनवाई की तिथि 18 और 19 जुलाई तय की है। 18 जुलाई को सुनवाई दोपहर 3 बजे से शुरू होगी और 19 जुलाई को पूरे दिन चलेगी। इसके बाद अगली तारीख की घोषणा की जाएगी।

फिलहाल अदालत ने मराठा आरक्षण पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई है, जिससे SEBC के अंतर्गत मराठा छात्रों का प्रवेश फिलहाल बाधित नहीं होगा।

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