जिस ट्रैक को उखाड़ ले गई थी पाकिस्तानी सेना, उस पर शहीदों को सलाम करने दौड़ी ट्रेन

रविवार को जब फिरोजपुर छावनी से हुसैनीवाला के लिए विशेष ट्रेन शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए रवाना हुई, तो 10 इस किलोमीटर के इस सफर में लोगों की भावनाओं का ज्वार आसमान पर था। हो भी क्यों न… यह वही पवित्र स्थल है, जहां शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव हमेशा के लिए भारत मां की गाेद में समा गए थे।

फिरोजपुर के हुसैनी वाला बॉर्डर पर लगे शहीदी मेले के दौरान रेल प्रशासन ने 23 मार्च को स्पेशल ट्रेन चलाई है। रविवार को इस ट्रेन पर सैकड़ों लोगों ने सफर किया। ट्रेन का किराया प्रति व्यक्ति 10 रुपये रखा गया है। सभी लोग फिरोजपुर छावनी रेलवे स्टेशन से ट्रेन के माध्यम से हुसैनी वाला बॉर्डर पर पहुंचे। फिरोजपुर छावनी रेलवे स्टेशन से पहली ट्रेन सुबह 9:00 बजे हुसैनीवाला वाला बॉर्डर के लिए रवाना हुई। उक्त ट्रेन सुबह 9:00 बजे से लेकर शाम के 6:00 बजे तक इसी तरह लोगों को लेकर जाएगी और लेकर आएगी।

हुसैनी वाला रेलवे स्टेशन पर यह ट्रेन पहुंचकर वहीं रुक जाती है। यहां पर यात्री उतरकर शहीदी स्मारक पर पैदल जाते हैं। शहीदी स्मारक पर मेला लगा हुआ है। यहीं पर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की समाधि बनी है। बाकी दिन ये ट्रेन नहीं चलती है। ये रेल पटरी कभी पाकिस्तान तक बिछी हुई थी और इसी ट्रैक से ट्रेन पाकिस्तान जाती और आती थी। अब दोनों देशों में तनाव के चलते अब यहां से ट्रेन पाकिस्तान नहीं जाती है।

23 मार्च, 1931 को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दिए जाने के बाद तीनों शहीदों का यहीं पर अंतिम संस्कार किया गया था। इन अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर वर्ष 23 मार्च को हुसैनीवाला में शहीदों के स्मारक पर मेला लगता है। इस समाधि स्थल से भारत से पाकिस्तान की ओर एक रेलवे ट्रैक गुजरता था। 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना इस ट्रैक का आधा हिस्सा उखाड़ कर ले गई थी, लेकिन आधा हिस्सा अब भी हुसैनीवाला बॉर्डर तक मौजूद है, जिसे रेलवे ने संरक्षित किया है। इस ट्रैक पर साल में सिर्फ दो बार ही ट्रेन चलाई जाती है। एक बार 23 मार्च को शहीदी मेले और दूसरी बार 13 अप्रैल बैसाखी मेले पर।

देशभक्ति के नारों से गूंज उठती है ट्रेन

रेलवे प्रशासन फिरोजपुर छावनी से हुसैनीवाला के लिए यह विशेष ट्रेन चलाता है, ताकि लोग शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकें। यदेश के अलग-अगल हिस्सों से यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस 10 किलोमीटर के सफर में लोग देश सेवा के जज्बे से भर जाते हैं। जैसे-जैसे ट्रेन हुसैनीवाला के नजदीक पहुंचने लगत है, पूरी फिजा में देशभक्ति के नारे गूंजने लगते हैं।

शहीदों की समाधि के लिए भारत ने पाकिस्तान को दिए थे 12 गांव

इस समाधि स्थल की कहानी भी बहुत रोचक है। बंटवारे के दौरान यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था। इसे हासिल करने के लिए भारत ने पाकिस्तान को फाजिल्का के 12 गांव दिए थे। उनके बदले में हुसैनीवाला भारत की सीमा में आ पाया था। यहां रोज रिट्रीट सेरेमनी भी होती है।

सतलुज ब्रिज के पास हर साल लगता है शहीदी मेला

शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का शहीदी दिवस पर प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को मनाया जाता है। इस मौके पर हर साल हुसैनीवाला में सतलुज ब्रिज के पास शहीदी मेला लगता है। रेलवे की तरफ से हर वर्ष मेले में आने जाने वाले लोगों के लिए विशेष ट्रेन चलाई जाती है। 23 मार्च को फिरोजपुर कैंट और हुसैनीवाला के बीच 6 जोड़ी शहीदी मेला स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी। फिरोजपुर कैंट और हुसैनीवाला के बीच शहीदी मेला स्पेशल ट्रेन संख्या सुबह 09:00 बजे, सुबह 10:30 बजे, सुबह 11:55 बजे, दोपहर 1:50 बजे, दोपहर 3:30 बजे और शाम 5:00 बजे चलाई जाएंगी। वापसी में हुसैनीवाला और फिरोजपुर कैंट के बीच शहीदी मेला स्पेशल ट्रेन संख्या सुबह 09:40 बजे, सुबह 11:10 बजे, दोपहर 12:45 बजे, दोपहर 2:40 बजे, शाम 4:20 बजे और शाम 6:00 बजे चलाई जाएंगी। ये रेलगाड़ियां मार्ग में फिरोजपुर सिटी रेलवे स्टेशन पर दोनों दिशाओं में ठहरेगी।

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