भारतीय सेना के कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे के साथ कथित मारपीट के मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही है। CBI ने इस मामले की जांच का जिम्मा संभालते हुए दो अलग-अलग प्राथमिकियां दर्ज की हैं। इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी को मामले से हटाकर इसे केंद्रीय एजेंसी को सौंपने के निर्देश दिए थे।
सीबीआई ने पटियाला के सिविल लाइंस थाने में दर्ज दोनों प्राथमिकी को दो अलग-अलग मामलों के रूप में दोबारा दर्ज किया है। इन मामलों की जांच CBI की स्पेशल क्राइम यूनिट को सौंपी गई है। हाईकोर्ट ने 16 जुलाई को सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ पुलिस की जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए केस को CBI को ट्रांसफर कर दिया था।
हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी
कर्नल बाठ ने याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि पटियाला पुलिस ने उनके साथ और उनके बेटे के साथ मारपीट करने वाले अधिकारियों की निष्पक्ष जांच नहीं की और आरोपियों की गिरफ्तारी में जानबूझकर ढिलाई बरती जा रही है। कोर्ट ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक सीनियर सैन्य अधिकारी के साथ हुई हिंसा के मामले में न्यायिक गंभीरता नहीं बरती जा रही है, इसलिए जांच अब CBI को सौंपी गई है।
क्या है पूरा मामला
घटना 13 और 14 मार्च की रात की है, जब कर्नल पुष्पिंदर बाठ अपने बेटे के साथ दिल्ली से पटियाला की ओर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने ‘हरबंस ढाबा’ पर भोजन के लिए गाड़ी रोकी। बताया गया कि पार्किंग को लेकर हुए विवाद के बाद 7 से 8 पुलिसकर्मियों ने दोनों पर हमला कर दिया।
आरोप है कि हमलावरों में चार इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी और उनके हथियारबंद सहयोगी शामिल थे। आरोपियों ने न केवल मारपीट की बल्कि कर्नल का पहचान पत्र और मोबाइल फोन भी छीन लिया और उन्हें कथित तौर पर फर्जी एनकाउंटर की धमकी दी गई।
दूसरी एफआईआर में क्या कहा गया है
CBI द्वारा दोबारा दर्ज की गई दूसरी FIR ढाबा मालिक की ओर से दी गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि कुछ लोग कार में बैठकर सड़क के बीच शराब पी रहे थे, और इसी दौरान वहां से गुजर रहे राहगीरों और एक अन्य कार सवार से उनकी झड़प हो गई थी।
12 पुलिसकर्मी पहले ही निलंबित
घटना के बाद यह मामला सुर्खियों में आया, और पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए 12 कर्मियों को निलंबित कर दिया था। हालांकि, पीड़ित परिवार आरोपियों की गिरफ्तारी की लगातार मांग करता रहा। जब मांग पूरी नहीं हुई, तो कर्नल बाठ की पत्नी ने जिला मुख्यालय के बाहर धरना देकर विरोध जताया।
प्रारंभिक जांच के लिए एक एसआईटी गठित की गई थी, लेकिन न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद अब मामला पूरी तरह सीबीआई के अधीन है।