पंजाब से खिलाड़ियों का पलायन,खेल विभाग के लिए बना बड़ी चुनौती

मोहाली समेत पंजाब में युवाओं को खेलों से जोड़ने के लिए सरकार पूरी ताकत झोंकने में लगी हुई है। खिलाड़ियों के लिए अच्छे मैदान, अभ्यास करवाने के लिए कोच और उनके खानपान का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। लेकिन युवा खेल में पारंगत होते ही पंजाब को छोड़कर उन राज्यों से खेलने लगता है, जहां पुरस्कार राशि अधिक मिलती है। खिलाड़ियों का पलायन खेल विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस दायरे को खत्म करने के लिए विभाग लगातार कोशिशों में लगा हुआ है।

पंजाब सरकार ने खिलाड़ियों को तराशने के लिए हर शहर में स्टेडियम बनाए हैं। कोच नियुक्त किए हैं। समय समय पर खेल विभाग टूर्नामेंट आदि कराता है। अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को खेल विभाग अपने विंग के लिए चयनित कर बेहतर बनाने के लिए सुविधाएं देता है।

अधिकारियों के अनुसार, जो खिलाड़ी स्टेडियम में आकर अभ्यास करते हैं, उन्हें विभाग प्रतिदिन 100 रुपये की खुराक देता है। राष्ट्रीय स्तर पर चुने जाने वाले खिलाड़ियों को प्रतिदिन 200 रुपये डाइट के साथ रहने की सुविधा दी जाती है। इन सुविधाओं के अलावा अन्य आर्थिक सहायता भी दी जाती है, ताकि खिलाड़ी बेफिक्र होकर मैदान में खेल सके। अफसोस, ये सारी सुविधाएं उस समय धरी रह जाती हैं, जब ये खिलाड़ी अपने गृह राज्य को छोड़कर उन राज्यों से खेलना पसंद करते हैं, जो राज्य उन्हें पुरस्कार राशि ज्यादा देते हैं।

मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को ये मिलती है राशि
पंजाब की तरफ से ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक लाने वाले खिलाड़ी को 2.5 करोड़ रुपये की सम्मान राशि दी जाती है। वहीं, रजत जीतने वाले को डेढ़ करोड़ और कांस्य पदक जीतकर लाने वाले खिलाड़ी को 1 करोड़ रुपये दिए जाते हैं। दूसरी ओर, हरियाणा सरकार की तरफ से ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाले खिलाड़ी को 6 करोड़ रुपये, रजत लाने वाले को 4 करोड़ और कांस्य लाने वाले को ढाई करोड़ रुपये की राशि देकर सम्मानित किया जाता है।
खेलों के प्रति रुचि रखने वाले युवाओं को हमारी ओर से वह सभी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं, जिसकी मदद लेकर वह खिलाड़ी बनता है। लेकिन हमारी सारी कोशिशें फेल हो जाती हैं जब खिलाड़ी पुरस्कार राशि के लालच में दूसरे राज्यों से खेलने लगते हैं।

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