अमृतसर के अजनाला ब्लॉक के सीमांत गांव साहूवाल में बाढ़ के हालात भयावह बने हुए हैं। पूरा गांव पानी में डूबा हुआ है और लोग कई दिनों से जलभराव के बीच जीवनयापन करने को मजबूर हैं। रावी नदी का जल स्तर चार फीट तक बढ़ गया है, जिससे लोगों की परेशानी बढ़ रही है और बीमारियों का खतरा गंभीर रूप ले रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन असली चुनौती आजीविका बहाली, स्वास्थ्य और पुनर्निर्माण की है। जसपाल सिंह, हरदीप सिंह, मंगा सिंह और हरजिंदर ने बताया कि पानी का स्तर घटा है, लेकिन बुखार और अन्य बीमारियों की शिकायतें बढ़ रही हैं।
पशुपालन भी संकट में है। चारे की कमी और लगातार पानी में रहने के कारण पशुओं में संक्रमण फैल रहा है। अब तक चार ग्रामीणों को सांप के काटने की घटनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन समय पर उपलब्ध मेडिकल सहायता से उनकी जान बचाई गई।
ग्रामीणों ने राहत सामग्री वितरण पर भी सवाल उठाए हैं। कई जरूरतमंद परिवारों तक राशन नहीं पहुंचा, जबकि कुछ अन्य ने इसे अपने लिए ले लिया। इसके अलावा, बाढ़ के बीच गांव में तीन-चार घरों में चोरी की घटनाएं भी हुईं, जिससे ग्रामीणों की चिंता और बढ़ गई।
खेती-बाड़ी मुख्य रोजगार होने के कारण किसानों की सारी फसलें बाढ़ में बह गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह नुकसान केवल मौसमी नहीं बल्कि आने वाले महीनों की रोजी-रोटी पर भी असर डाल सकता है।
प्रशासन, बीएसएफ, सेना, एनडीआरएफ और कई एनजीओ राहत कार्यों में जुटे हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और मेडिकल टीमें गांव का दौरा कर रही हैं, लेकिन ग्रामीणों का मानना है कि दीर्घकालीन पुनर्वास और पुनर्निर्माण में अधिक सहायता की आवश्यकता है।
साहूवाल, सीमांत क्षेत्र होने के कारण पहले भी कठिनाइयों का सामना करता आया है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार मुआवजा दे, घरों की मरम्मत करे, बीमार पशुओं का इलाज करे और राहत सामग्री वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करे। गांव की कुल आबादी 356 है, जिसमें 184 पुरुष और 172 महिलाएं हैं, और कुल 60 परिवार हैं।