राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुरुवार का दिन पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के लिए उम्मीद और राहत लेकर आया। लंबे अरसे से भारत की नागरिकता का इंतजार कर रहे 10 विस्थापितों को आज आखिरकार भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपे गए। इस अवसर पर उनके चेहरों पर संतोष और आत्मविश्वास साफ नजर आया।
भारतीय नागरिकता मिलने पर इन लोगों ने पाकिस्तान में झेली गई कठिनाइयों को साझा करते हुए बताया कि किस तरह धार्मिक असहिष्णुता और सामाजिक भेदभाव का सामना उन्हें करना पड़ा। किसी ने कहा कि त्योहारों पर तिलक लगाना वहां अपराध माना जाता था, तो किसी ने बताया कि पूजा की घंटी बजाना भी संभव नहीं था।
गुरुवार को जिला कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी और प्रभारी मंत्री जोगाराम पटेल ने इन 10 शरणार्थियों को नागरिकता प्रमाणपत्र सौंपे। इनमें संगीता और हरिचंद जैसे दंपत्ति अब आधिकारिक रूप से भारतीय नागरिक बन गए हैं। वहीं, संतोष, सुनीत और राजकुमारी जैसे भाई-बहन अब खुद को भारत का हिस्सा मान सकेंगे।
भारत की नागरिकता पाकर विस्थापितों ने कहा कि यह उनके जीवन का सबसे अहम दिन है। अब उन्हें कोई मेहमान नहीं कहेगा, बल्कि वे भी बाकी नागरिकों की तरह सरकारी योजनाओं, स्कूल दाखिले और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ ले सकेंगे। उन्होंने कहा, “पहले हर जगह पहचान पत्र मांगने पर झिझक होती थी, अब गर्व से कह सकेंगे कि हम भारतीय हैं।”
‘पाकिस्तान में डर था, भारत में सम्मान और सुकून’
विस्थापितों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा भय बना रहता था। स्कूलों में बच्चों पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला जाता था। लेकिन भारत में उन्हें सुरक्षा, सम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता मिली है। उन्होंने नागरिकता प्रमाणपत्र को अपनी वर्षों की तपस्या का फल बताया।
अब मिलेंगे सरकारी योजनाओं के लाभ
इन नागरिकों ने यह भी बताया कि नागरिकता के अभाव में अब तक वे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं उठा पाए थे। लेकिन अब, पहचान मिलने के साथ उन्हें रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं तक भी आसानी से पहुंच मिलेगी।