थार में गूंजे वायुसेना के जेट: मिराज और सुखोई ने दिखाया दम, सीमा पार भेजा सख्त संदेश

राजस्थान की पश्चिमी सीमा से लगे इलाकों में भारतीय वायुसेना ने शनिवार रात से दो दिवसीय सैन्य अभ्यास की शुरुआत की। यह अभ्यास 1 और 2 सितंबर तक चलेगा, जिसके चलते जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में सैन्य गतिविधियां तेज हो गई हैं। अभ्यास का उद्देश्य जहां वायुसेना की युद्धक क्षमताओं की परख करना है, वहीं मौजूदा सुरक्षा हालात को देखते हुए यह एक मजबूत रणनीतिक संदेश भी माना जा रहा है। थार के रेगिस्तान में मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई की गड़गड़ाहट ने वायुसेना के शौर्य का प्रदर्शन किया।

नागरिक उड़ानों पर रोक, रात्रिकालीन युद्धक क्षमता की परख
अभ्यास के मद्देनज़र रक्षा मंत्रालय ने NOTAM जारी कर रात के समय सभी नागरिक उड़ानों पर अस्थायी रोक लगा दी है। वायुसेना इस दौरान अपनी नाइट-वारफेयर क्षमता यानी रात में ऑपरेशन की दक्षता का आकलन कर रही है। अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने चौकसी बढ़ाई थी। मौजूदा अभ्यास भी इन्हीं परिस्थितियों और पश्चिमी सीमा से संभावित खतरों को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया है।

रणनीतिक महत्व और संदेश
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के अभ्यास न केवल सैनिकों की दक्षता बढ़ाते हैं, बल्कि पड़ोसी देशों और आतंकी संगठनों को भी यह संदेश देते हैं कि भारतीय वायुसेना हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है। पश्चिमी सीमा पर ऐसे अभियानों से वायुसेना की सामरिक बढ़त और भी मजबूत होती है।

ड्रोन और उड़ने वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध
जोधपुर पुलिस कमिश्नर ओमप्रकाश ने आदेश जारी कर पूरे क्षेत्र में ड्रोन और अन्य फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। बिना सक्षम प्राधिकारी की अनुमति के ड्रोन उड़ाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत लागू किया गया है और अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा।

आधुनिक हथियारों और तकनीकों का इस्तेमाल
इस बड़े अभ्यास में वायुसेना के फ्रंटलाइन लड़ाकू विमान शामिल हैं, जिनमें मिराज-2000 और सुखोई-30 एमकेआई प्रमुख हैं। सूत्रों के अनुसार राफेल फाइटर जेट्स की भी भागीदारी संभव है। इसके साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइल यूनिट्स और रात्रिकालीन ऑपरेशन की विशेष तकनीकों पर फोकस किया जा रहा है।

क्यों है यह अभ्यास महत्वपूर्ण
हाल के वर्षों में ड्रोन के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकी संगठन और असामाजिक तत्व ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल देश की सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देने के लिए कर सकते हैं। सामरिक और ऐतिहासिक दृष्टि से संवेदनशील जोधपुर-बाड़मेर-जैसलमेर इलाकों में इस अभ्यास के दौरान प्रशासन ने नागरिकों से सुरक्षा नियमों का पालन करने और किसी भी अनावश्यक गतिविधि से बचने की अपील की है।

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