जैसलमेर में आज, 23 अक्टूबर से सेना कमांडरों का दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हो रहा है। देशभर से शीर्ष सेना अधिकारी इस बैठक में शामिल होंगे। सम्मेलन में सेना की परिचालन रणनीति, सुरक्षा स्थिति और भावी चुनौतियों से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चा की जाएगी।

सेना ने स्पष्ट किया है कि इस बैठक में अग्निवीर रिटेंशन रेट यानी नियमित सेवा में शामिल किए जाने वाले अग्निवीरों का प्रतिशत बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं की जाएगी। यह स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्टों के बाद जारी किया गया, जिनमें दावा किया गया था कि सम्मेलन में रिटेंशन रेट 25 से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने पर विचार हो सकता है। सेना ने इसे पूरी तरह गलत बताया है।

सेना के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अग्निवीर रिटेंशन दर से संबंधित कोई भी विषय इस सम्मेलन के एजेंडे में शामिल नहीं है। यह सम्मेलन मुख्य रूप से वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा और आने वाले महीनों की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर केंद्रित रहेगा।

ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद पहला सम्मेलन
यह बैठक मई में संचालित ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली बार हो रही है। सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के लिए यह एक ऐसा मंच है, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा, सैन्य तैयारी और भविष्य की रणनीतियों पर गहन विचार-विमर्श किया जाता है।

अनुभवी दिग्गजों के उपयोग पर विचार
सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन में पूर्व सैनिकों के अनुभव और विशेषज्ञता का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने के विकल्पों पर भी चर्चा की जाएगी। वर्तमान में पूर्व सैनिक आर्मी वेलफेयर एजुकेशन सोसाइटी और ईसीएचएस (पूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना) जैसी सीमित भूमिकाओं में योगदान दे रहे हैं। अब उनकी व्यापक भागीदारी के लिए नई संरचनाओं पर विचार किया जा रहा है।

त्रि-सेवा शिक्षा कोर पर आगे की पहल
पिछले महीने कोलकाता में हुए संयुक्त कमांडर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में तीन संयुक्त सैन्य स्टेशनों की स्थापना और सेना, नौसेना व वायुसेना की शिक्षा शाखाओं को एकीकृत कर ‘त्रि-सेवा शिक्षा कोर’ बनाने का निर्णय लिया गया था। जैसलमेर सम्मेलन में इस प्रस्ताव की प्रगति पर भी चर्चा की उम्मीद है।

अग्निपथ योजना की पृष्ठभूमि
बता दें कि ‘अग्निपथ योजना’ के तहत भारतीय सेना में अग्निवीरों की भर्ती चार वर्ष की अवधि के लिए की जाती है। इनमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को उनके प्रदर्शन और आवश्यकताओं के आधार पर नियमित सेवा में शामिल किया जाता है।