जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने प्रदेश के बड़े अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए एक अहम कदम उठाया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा प्रस्तावित 30 नए अग्नि सुरक्षा अधिकारी पदों को वित्त विभाग से मंजूरी मिल गई है। इसके बाद अब प्रमुख अस्पतालों में स्थायी फायर सेफ्टी अधिकारी तैनात रहेंगे, जिससे मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा बेहतर होगी।
राज्य के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा कि यह निर्णय स्वास्थ्य सेवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता को बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि सवाई मानसिंह अस्पताल में हाल ही में हुई आग की घटना के बाद अस्पतालों में स्थायी अग्नि सुरक्षा ढांचा बनाने का निर्णय लिया गया है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अम्बरीष कुमार ने बताया कि प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में हर साल करीब 4 करोड़ मरीज ओपीडी सेवाएं लेते हैं। इन अस्पतालों में 42,000 इनडोर बेड, प्रतिदिन 12,500 मेडिकल गैस सिलेंडर और 60,000 से अधिक मेडिकल स्टाफ कार्यरत हैं। ऐसे माहौल में फायर सेफ्टी विशेषज्ञों की नियुक्ति अत्यावश्यक है।
सरकार ने 6 पद लेवल-11 और 24 पद लेवल-8 पर स्वीकृत किए हैं। नियुक्त अधिकारी अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा का निरीक्षण, मासिक मॉक ड्रिल, आईसीयू और ऑक्सीजन सिस्टम की निगरानी, फायर अलार्म व स्प्रिंकलर सिस्टम की देखभाल और आपातकालीन राहत कार्यों का संचालन करेंगे।
अम्बरीष कुमार ने बताया कि भर्ती प्रक्रिया 15 दिसंबर 2025 तक शुरू कर दी जाएगी। चयनित अधिकारियों को एनआईएफएसए और एडीआरएफ जैसी राष्ट्रीय संस्थाओं से तकनीकी प्रशिक्षण मिलेगा। इसके साथ ही अस्पताल कर्मियों और मेडिकल छात्रों के लिए अग्नि सुरक्षा जागरूकता मॉड्यूल भी तैयार किया जाएगा।
अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल ने इसे राज्य में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में ऐतिहासिक निर्णय करार देते हुए कहा कि इससे राजस्थान में एकीकृत फायर सेफ्टी मॉडल विकसित होगा, जो अस्पतालों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और राज्य को ‘सुरक्षित अस्पताल और सुरक्षित जीवन’ की दिशा में अग्रणी बनाएगा।