राजस्थान पुस्तक विवाद: शिक्षा मंत्री बोले- जहर खरीद लें तो खाना जरूरी थोड़े है

राजस्थान बोर्ड की कक्षा 12 में वर्षों से पढ़ाई जा रही पुस्तक ‘आजादी के बाद का स्वर्णिम इतिहास’ को प्रदेश की भाजपा सरकार ने अब पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है। इस फैसले को लेकर राजनीतिक गर्माहट तेज हो गई है।

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने निर्णय का बचाव करते हुए कहा कि यह पुस्तक केवल वैकल्पिक थी और इसमें से परीक्षा में अंक नहीं जोड़े जाते थे, इसलिए इसे हटाना उचित समझा गया। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में अब कक्षा 5 से 12 तक NCERT की किताबें लागू की जाएंगी, जिससे पाठ्यक्रम की एकरूपता बनी रहे। वहीं, कक्षा 1 से 5 तक की पुस्तकों की समीक्षा की जा रही है।

हालांकि इस निर्णय को लेकर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर इसे “इतिहास के साथ छेड़छाड़” बताते हुए कहा कि “इंदिरा गांधी और राजीव गांधी जैसे नेताओं ने देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर कर दी, क्या भाजपा सरकार इन ऐतिहासिक तथ्यों को भी मिटा सकती है?” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि लगभग 2.5 करोड़ रुपये की छपी पुस्तकों को यूं ही रद्दी बना देना कैसे जनता के पैसों का सम्मान हो सकता है।

गहलोत ने सुझाव दिया कि यदि एनडीए सरकार की उपलब्धियों को भी बच्चों को पढ़ाना है तो अलग से पूरक सामग्री भेजी जा सकती थी, न कि पहले से छपी किताबों को निरस्त कर दिया जाए।

शिक्षा मंत्री ने जवाब में तंज कसते हुए कहा, “अगर कोई गलती से ज़हर खरीद ले, तो क्या उसे खा लेना ज़रूरी है?” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इतनी बड़ी संख्या में किताबों की समीक्षा करना आसान नहीं होता, लेकिन जैसे ही जानकारी में आया, किताब को हटाने का निर्णय ले लिया गया।

इस पुस्तक को लेकर भाजपा का यह भी कहना है कि इसमें कांग्रेस पार्टी का महिमामंडन किया गया है और लोकतंत्र के दुरुपयोग की घटनाओं को नजरअंदाज किया गया है। सबसे अधिक आपत्ति पुस्तक के दूसरे भाग पर है, जिसमें इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नेहरू और मनमोहन सिंह की तस्वीरें शामिल हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

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