जोधपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राजनीतिक गढ़ माने जाने वाले जोधपुर में कांग्रेस संगठन में एक बार फिर आंतरिक मतभेद चर्चा में आ गए हैं। यह विवाद पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व जिला अध्यक्ष सईद अंसारी की सोशल मीडिया पोस्ट के बाद शुरू हुआ। अंसारी, जो तीन बार विधायक रह चुके हैं, ने अपने पोस्ट में गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

अंसारी के आरोप
सईद अंसारी ने पोस्ट में लिखा कि गहलोत ने मुस्लिम समुदाय का राजनीतिक लाभ उठाया और हमेशा वोट बैंक की राजनीति की। उन्होंने कहा कि उन्हें तीन बार पार्टी ने चुनाव में टिकट दिया, लेकिन उन्हें पर्याप्त सहयोग नहीं मिला। अंसारी ने दावा किया कि एक चुनाव में वे मात्र 425 वोट से हार गए थे, लेकिन मतगणना के दौरान उनके एजेंट को शामिल नहीं किया गया। इसके बाद मामला कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया, लेकिन फैसला लंबित रहा।

अंसारी ने आरोप लगाया कि सूरसागर सीट से दो बार कम मतों से हारने के बावजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को एकजुट नहीं किया गया और तीसरी बार गहलोत समर्थक नेताओं ने ‘पैसे बांटकर’ उन्हें हराया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को सत्ता में उचित भागीदारी कभी नहीं मिली।

गहलोत समर्थकों का जवाब
अंसारी की पोस्ट वायरल होते ही जोधपुर के कांग्रेस नेताओं ने इसे उनके व्यक्तिगत विचार बताते हुए गहलोत का पक्ष लिया। नवनियुक्त जिला अध्यक्ष ओमकार वर्मा ने कहा कि गहलोत हमेशा सभी को साथ लेकर चलते हैं।

सूरसागर से पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी शहजाद अयूब खान ने कहा कि गहलोत ने अल्पसंख्यक समाज को हमेशा अवसर दिए हैं और अंसारी को तीन बार टिकट दिया गया था। निवर्तमान जिला अध्यक्ष सलीम खान ने इसे अंसारी का निजी मत बताया और संगठन की सामूहिक राय से अलग करार दिया। पूर्व विधायक मनीषा पवार ने भी कहा कि गहलोत और कांग्रेस ने सभी वर्गों को अवसर दिया और अंसारी की टिप्पणी व्यक्तिगत विचार है।

सियासी हलचल और संगठन की स्थिति
अंसारी के बयान के बाद जोधपुर कांग्रेस में आंतरिक स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं। गहलोत का मजबूत राजनीतिक आधार होने के बावजूद संगठन में मतभेदों की चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि पार्टी नेताओं ने इसे अंदरूनी कलह नहीं, बल्कि व्यक्तिगत नाराजगी बताया है।