भारतीय संविधान ने नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार दिया है। अनुच्छेद 25 से 28 के तहत हर व्यक्ति को अपने मनचाहे धर्म को मानने, उसका प्रचार करने और आचरण करने की आज़ादी है। इसके बावजूद देश में धर्मांतरण को लेकर लंबे समय से विवाद बना हुआ है। आरोप लगते रहे हैं कि कई बार प्रलोभन, धोखे या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है।

इसी पृष्ठभूमि में कई राज्यों ने धर्मांतरण-विरोधी कानून बनाए हैं। अब राजस्थान सरकार भी सख्त कानून लाने की तैयारी कर रही है। प्रस्तावित मसौदे के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति ज़बरदस्ती, छल या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा और 50 लाख रुपए तक जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं, नाबालिगों और अनुसूचित जाति-जनजाति से जुड़े लोगों का धर्मांतरण कराने पर और भी कठोर दंड का प्रावधान होगा। इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर गहन बहस छिड़ी है क्योंकि यह देश का अब तक का सबसे कड़ा कानून माना जा रहा है।

अन्य राज्यों के प्रावधान

  • उत्तर प्रदेश (2021) : जबरन धर्मांतरण पर 1 से 5 साल की जेल और 15 हजार रुपए जुर्माना। महिला, नाबालिग या कमजोर वर्ग के मामले में सजा 3 से 10 वर्ष और 25 हजार रुपए जुर्माना। सामूहिक धर्म परिवर्तन पर 3 से 10 साल की सजा और कम से कम 50 हजार रुपए जुर्माना।
  • मध्य प्रदेश : 1 से 5 वर्ष कैद और 25 हजार रुपए जुर्माना। महिला, नाबालिग या SC/ST के मामलों में 2 से 10 साल कैद और 50 हजार रुपए जुर्माना। सामूहिक धर्मांतरण पर 5 से 10 साल कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना। विवाह के ज़रिये धर्म परिवर्तन अवैध घोषित।
  • गुजरात : 3 से 10 साल कैद और 25 हजार से 50 हजार रुपए जुर्माना। सामूहिक धर्मांतरण पर 2 लाख रुपए तक जुर्माना। विवाह के माध्यम से जबरन धर्मांतरण अपराध।
  • उत्तराखंड : 1 से 5 साल कैद और 25 हजार रुपए जुर्माना। महिला, नाबालिग या कमजोर वर्ग के मामलों में 2 से 7 साल कैद और 50 हजार रुपए जुर्माना।
  • हिमाचल प्रदेश : 1 से 5 साल कैद और 25 हजार रुपए जुर्माना। महिला, नाबालिग या SC/ST मामलों में 2 से 7 साल कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना। धर्मांतरण से पहले ज़िला मजिस्ट्रेट को सूचना देना अनिवार्य।
  • झारखंड : 3 साल कैद और 50 हजार रुपए जुर्माना। महिला, नाबालिग या SC/ST मामलों में 4 साल कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना।
  • ओडिशा : देश का पहला राज्य जिसने धर्म स्वतंत्रता कानून बनाया। इसमें बलपूर्वक धर्म परिवर्तन पर 1 साल कैद और 5 हजार रुपए जुर्माना, जबकि महिला, नाबालिग या SC/ST मामलों में 2 साल कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना।
  • अरुणाचल प्रदेश : 2 साल कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना।
  • हरियाणा (2022) : 1 से 5 साल कैद और 1 लाख रुपए जुर्माना। महिला, नाबालिग या SC/ST मामलों में 2 से 10 साल कैद और 3 लाख रुपए तक जुर्माना।
  • कर्नाटक (2022) : 10 साल तक की सजा का प्रावधान।

निष्कर्ष

भारत के विभिन्न राज्यों में धर्मांतरण-विरोधी कानून उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों को देखते हुए बनाए गए हैं। अधिकांश जगह स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन की अनुमति है, लेकिन बल, धोखे, लालच या विवाह के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन कराना अपराध माना जाता है। इन कानूनों में सजा एक वर्ष से लेकर दस वर्ष तक और जुर्माना पांच हजार से तीन लाख रुपए तक हो सकता है। यह विषय सिर्फ़ कानूनी ही नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का भी हिस्सा है। अब राजस्थान का प्रस्तावित कानून इस बहस को और गहराई देगा।