जयपुर/नई दिल्ली। राजस्थान की जोजरी, लूणी और बांदी नदियों में बढ़ते प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। अदालत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा से स्पष्ट करने को कहा है कि क्या राज्य की सरकारी एजेंसियां 2022 में एनजीटी के प्रदूषण नियंत्रण आदेश के खिलाफ दायर अपीलें वापस लेने पर विचार कर रही हैं या नहीं।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि तीनों नदियों में प्रदूषण की स्थिति गंभीर है और अब राज्य सरकार को इस पर निर्णायक कदम उठाना होगा। पीठ ने इस मुद्दे को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए कहा कि पर्यावरण और स्वास्थ्य पर इसके गहरे प्रभाव पड़ रहे हैं।

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रही स्वप्रेरित जनहित याचिका (In Re: 2 Million Lives at Risk Jojari River Contamination in Rajasthan, W.P. (C) No. 8/2025) की सुनवाई के दौरान उठाया गया। यह याचिका आरआईआईसीओ, बालोतरा नगर परिषद, पाली नगर परिषद और जोधपुर नगर निगम द्वारा 25 फरवरी 2022 के एनजीटी आदेश के खिलाफ दायर अपीलों से संबंधित है।

सुनवाई में अदालत ने याद दिलाया कि एनजीटी ने 2022 में राज्य की एजेंसियों पर प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही के लिए 2 करोड़ रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना भी लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने एएजी शर्मा को निर्देश दिया कि वे संबंधित निकायों से परामर्श कर स्पष्ट रिपोर्ट दाखिल करें कि क्या राज्य इन अपीलों को जारी रखना चाहता है या उन्हें वापस लिया जाएगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि एनजीटी के आदेश में "ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज नीति" का पालन, उल्लंघन करने वाले उद्योगों को बंद करना और केंद्रीय एवं राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के सहयोग से सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करने जैसे सख्त निर्देश दिए गए थे। बावजूद इसके, तीनों नदियों में औद्योगिक और घरेलू अपशिष्ट का बहाव जारी है, जिससे गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संकट पैदा हो रहा है।