अंता विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रहे नरेश मीणा ने सपोटरा थाने में दर्ज एफआईआर को मनगढ़ंत बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि महापंचायत में दिए गए भाषण के आधार पर जिस व्यक्ति के नाम से रिपोर्ट दर्ज की गई है, वह स्वयं सार्वजनिक रूप से स्पष्ट कर चुका है कि उसने कोई शिकायत नहीं दी। इसके बावजूद, पुलिस पर कार्रवाई का दबाव बनाया जा रहा है।
नगरफोर्ट थाने में SDM से जुड़े मामले में हाईकोर्ट से मिली जमानत की शर्त के तहत हाजिरी देने के बाद मीणा ने कहा कि यदि पुलिस चाहे तो वह समर्पण को तैयार हैं, लेकिन जनता के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी।
“अंता चुनाव में भी वोट चोरी हुई, बीजेपी ने बिहार जैसी रणनीति अपनाई”
मीणा ने आरोप लगाया कि उनके विधानसभा क्षेत्र में भी वोटिंग प्रक्रिया के दौरान अनियमितताएं हुईं। उनका दावा है कि बीजेपी ने सुनियोजित तरीके से चुनाव प्रभावित किया। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “90% बीजेपी नेतृत्व मेरे प्रतिद्वंद्वी के साथ खड़ा था। धनबल से लेकर चांदी की तोड़ियों तक का इस्तेमाल हुआ।” चुनाव आयोग की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
तीसरे मोर्चे की तैयारी, दोनों बड़ी पार्टियों पर मिलीभगत का आरोप
राजस्थान की राजनीति में तीसरे विकल्प की संभावनाओं पर बोलते हुए मीणा ने कहा कि जनता बीजेपी और कांग्रेस दोनों से निराश है। जहां भी वे जनसंपर्क करते हैं, लोगों से तीसरे मोर्चे को मजबूत समर्थन मिल रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों राष्ट्रीय दल टिकट वितरण से लेकर नीतियों तक “आपसी समझ” से काम करते हैं और जनता का शोषण करते रहते हैं।
ओम बिरला पर भूमि घोटाले जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि “हजारों बीघा जमीन गौशाला के नाम पर कब्जाई गई, और किसानों की करोड़ों की परियोजनाएं ठप कर दी गईं।”
मीणा ने संकेत दिया कि जल्द ही वे जनता के साथ तीसरा मोर्चा घोषित करेंगे। अपनी पार्टी गठन पर उन्होंने कहा कि यह निर्णय समय आने पर लिया जाएगा।
“जनप्रतिनिधि शोषण करें तो चुप रहना गलत”
बड़े नेताओं पर लगातार हमलावर रहने के सवाल पर मीणा ने कहा कि वे जनसेवा से पीछे नहीं हट सकते। उन्होंने यह भी कहा कि जनता के हक के लिए आवाज उठाने के बावजूद उन्हें हर महीने थाने में हाजिरी देनी पड़ रही है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों पर प्रश्न खड़ा करता है।