राजसमंद में राज्य सरकार द्वारा मार्बल रॉयल्टी दरों में की गई वृद्धि के विरोध स्वरूप व्यापारियों ने कड़ा रुख अपनाया है। मार्बल ट्रेडर्स एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि यदि बढ़ाई गई रॉयल्टी वापस नहीं ली गई तो वे खदान से मार्बल की खरीद पूरी तरह से बंद कर देंगे। एसोसिएशन ने कहा कि यह निर्णय न केवल मार्बल उद्योग को नुकसान पहुंचाएगा बल्कि स्थानीय रोजगार पर भी गहरा प्रभाव डालेगा।
रॉयल्टी बढ़ने से व्यापार प्रभावित
एसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद सनाढ्य ने बताया कि पहले मार्बल पर कुल 360 रुपये प्रति टन शुल्क लगता था, जिसमें 320 रुपये रॉयल्टी और 40 रुपये डीएमएफटी फंड शामिल था। अब यह बढ़कर 450 रुपये प्रति टन हो गया है, जिसमें 400 रुपये रॉयल्टी और 50 रुपये डीएमएफटी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जब रॉयल्टी मार्बल की कीमत के करीब या उससे अधिक हो जाती है, तो यह व्यापार के लिए गंभीर समस्या बन जाती है।
खदानों में उत्पादन रुका
रॉयल्टी वृद्धि के विरोध में पिछले दस दिनों से खदान मालिक मार्बल का डिस्पैच बंद कर रखा है। इस बीच ट्रेडर्स एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि केवल आंशिक वापसी स्वीकार्य नहीं है, पूरी बढ़ोतरी को वापस लेना होगा।
सरकार को हो रहा भारी राजस्व नुकसान
गोविंद सनाढ्य ने बताया कि खदानों के बंद रहने से सरकार को अब तक करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है। इस क्षेत्र में लगभग 5,000 मार्बल ट्रेडर्स और सप्लायर्स कार्यरत हैं, जिनके रोजगार पर इस फैसले का गंभीर असर पड़ा है। प्रेसवार्ता में एसोसिएशन के संरक्षक प्रकाश रांका, महामंत्री सुशील बड़ाला, कोषाध्यक्ष जितेंद्र बाफना, संगठन मंत्री संजय सांगानेरिया और मीडिया प्रभारी लक्ष्मी लाल इनाणी समेत अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।