यमन में फांसी की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में भारत में प्रयास तेज़ हो गए हैं। राजस्थान के बूंदी जिले से कांग्रेस नेता और पूर्व राजस्थान बीज निगम निदेशक चर्मेश शर्मा ने इस विषय में देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम राष्ट्रपति सचिवालय में एक आपात याचिका दायर की है। उन्होंने 16 जुलाई को तय फांसी की सजा को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तत्काल राजनयिक और कानूनी हस्तक्षेप की अपील की है।
मानवाधिकार आयोग से भी की गई गुहार
शर्मा ने इस स्थिति को एक गंभीर मानवीय संकट करार देते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार यमन प्रशासन से त्वरित संवाद स्थापित कर कानूनी तौर पर आवश्यक कार्रवाई करे, जिससे एक भारतीय नागरिक की जान बचाई जा सके।
हत्या नहीं, प्रताड़ना के बाद हुआ हादसा
याचिका में बताया गया है कि यह कोई सोची-समझी हत्या नहीं थी, बल्कि हालातों के कारण हुई एक दुर्घटना थी। यमन के कानून के अनुसार, कोई भी विदेशी नागरिक किसी संस्थान या अस्पताल की स्थापना तभी कर सकता है जब उसके साथ एक स्थानीय साझेदार हो। इसी व्यवस्था के तहत निमिषा प्रिया ने यमनी नागरिक तलाल आबदो के साथ साझेदारी की थी। लेकिन आगे चलकर उन पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न शुरू हुआ। आरोप है कि दस्तावेज जब्त कर उन्हें बंधक बनाकर रखा गया।
भारत सरकार से तत्काल कदम उठाने की अपील
चर्मेश शर्मा ने अपनी याचिका में इस मामले को सिर्फ कानूनी न मानकर मानवीय दृष्टिकोण से भी देखने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने भारत सरकार से आग्रह किया है कि वह यमन के राष्ट्रपति और न्यायपालिका से संपर्क कर फांसी पर रोक लगाने की प्रक्रिया तत्काल शुरू करे। इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि यदि आवश्यक हो, तो भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी इस मामले को प्रस्तुत करना चाहिए।