लखनऊ। दीपावली के मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार ने पारंपरिक माटी कला (कुम्हार कला) को बढ़ावा देने वाले कारीगरों को खास तोहफा दिया है। अब जिस गांव में भी माटी कला को आगे बढ़ाने वाले कुम्हार काम कर रहे हैं, उन्हें बिना आवेदन के ही मिट्टी की खुदाई के लिए तालाब या जमीन का पट्टा दिया जाएगा।
माटी कला बोर्ड के प्रस्ताव पर मुख्य सचिव रणवीर प्रसाद ने शासनादेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि चकबंदी मैनुअल के पैरा 178 के तहत अगर किसी गांव में कुम्हारों की संख्या कम है या सिर्फ एक कुम्हार उस कला को संजोए रख रहा है, तो भले ही उसने आवेदन न दिया हो, उसे मिट्टी के लिए भूमि सुरक्षित की जाएगी।
माटी कला बोर्ड के अधिकारी एलके नाग ने बताया कि यह प्रस्ताव पिछले साल सरकार को भेजा गया था और 9 अक्टूबर को इसे मंजूरी मिली। अब प्रदेश के सभी 822 ब्लॉकों और 97,941 गांवों में यह व्यवस्था लागू हो गई है।
कारीगरों को मिलेगा बड़ा लाभ
राजधानी लखनऊ के चिनहट क्षेत्र में माटी कला के प्रोत्साहक राजेश प्रजापति ने कहा कि पहले मिट्टी की उपलब्धता को लेकर रोजाना समस्याएं रहती थीं, जिससे कला को आगे बढ़ाने में बाधा आती थी। नए शासनादेश के बाद अब कारीगरों को अधिकार मिलेगा और राजस्व विभाग मिट्टी के लिए तालाब या जमीन का इंतजाम करेगा।
डॉ. एसके पांडेय, नोडल अधिकारी माटी कला बोर्ड ने बताया कि इस निर्णय से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले कुम्हार समाज को बड़ी सुविधा मिलेगी। अब उन्हें मिट्टी के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा। कारीगरों की यह लंबे समय से मांग थी और अब यह पूरी हो गई है।
इस पहल से न केवल पारंपरिक कला को संरक्षण मिलेगा, बल्कि माटी कला के कारीगरों की रोजमर्रा की मुश्किलें भी कम होंगी।