विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अब सिर्फ आधार कार्ड दिखाकर मतदाता पंजीकरण कराना संभव नहीं होगा। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति का नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं है, तो केवल आधार कार्ड प्रस्तुत करना पर्याप्त नहीं होगा। नाम दर्ज कराने के लिए अन्य प्रमाण पत्र या दस्तावेज भी देना अनिवार्य रहेगा।
आयोग ने इस संबंध में सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीएम) को मोबाइल संदेश भेजकर अवगत कराया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, आधार किसी व्यक्ति को मतदाता बनने की एकमात्र योग्यता नहीं देता।
अधिकारियों को भेजे गए संदेश में दो भाग शामिल हैं — मुख्य चुनाव आयुक्त का वीडियो संदेश और लिखित टेक्स्ट मैसेज। वीडियो में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार का उपयोग केवल आधार अधिनियम (Aadhaar Act) के अनुरूप ही किया जा सकता है। इसके धारा-9 के अनुसार, आधार न तो नागरिकता, न ही निवास और न ही जन्म तिथि का प्रमाण है।
आयोग ने यह भी कहा है कि जन्म तिथि के प्रमाण के रूप में भी आधार को मान्यता नहीं दी गई है। आज भी नया आधार कार्ड डाउनलोड करने पर उस पर स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि यह नागरिकता, जन्म तिथि या निवास प्रमाण के लिए मान्य नहीं है।
डीएम को भेजे गए लिखित निर्देशों में कहा गया है कि यह संदेश सभी निर्वाचन अधिकारियों तक पहुंचाया जाए ताकि किसी प्रकार की गलतफहमी न रहे। हालांकि, आधार मतदाता पहचान प्रक्रिया में 13 मान्य दस्तावेजों में से एक माना जाएगा, लेकिन यह अकेले किसी को मतदाता सूची में शामिल नहीं करा सकता।
ईआरओ के विवेक पर निर्भर होगा नाम दर्ज होना
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़ने के लिए आधार के साथ किसी अन्य मान्य दस्तावेज की आवश्यकता होगी। यदि किसी के पास बाकी 12 दस्तावेजों में से कोई नहीं है, तो वह निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) के समक्ष ऐसा प्रमाण प्रस्तुत कर सकता है, जिससे उसकी नागरिकता, उम्र या स्थायी निवास सिद्ध हो सके।
अंतिम निर्णय ईआरओ के विवेक पर निर्भर करेगा। यदि अधिकारी प्रस्तुत दस्तावेज से संतुष्ट नहीं होता, तो नाम मतदाता सूची में नहीं जोड़ा जाएगा। हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अधिकांश ईआरओ आयोग द्वारा निर्धारित 13 दस्तावेजों के दायरे में ही प्रमाण स्वीकार करते हैं ताकि किसी विवाद की स्थिति में जिम्मेदारी उन पर न आए।
मान्य दस्तावेजों की सूची जारी
जिन मतदाताओं का नाम वर्ष 2003 की सूची से मेल नहीं खाता, उन्हें संबंधित विधानसभा क्षेत्र के ईआरओ द्वारा सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया जाएगा। सुनवाई के दौरान उन्हें निम्नलिखित 13 में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा:
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केंद्र या राज्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के नियमित कर्मचारी/पेंशनभोगी को जारी पहचान पत्र।
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1 जुलाई 1987 से पहले सरकार, बैंक, डाकघर या एलआईसी द्वारा जारी कोई प्रमाणपत्र या रिकॉर्ड।
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सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र।
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पासपोर्ट।
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मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय का शैक्षणिक प्रमाणपत्र।
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राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र।
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वन अधिकार प्रमाणपत्र।
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जाति प्रमाणपत्र (एससी/एसटी/ओबीसी) जो सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी हो।
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राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (जहां उपलब्ध हो)।
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राज्य या स्थानीय निकाय द्वारा तैयार परिवार रजिस्टर।
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सरकार द्वारा जारी भूमि या मकान आवंटन प्रमाणपत्र।
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आधार कार्ड (केवल सहायक दस्तावेज के रूप में)।
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1 जुलाई 2025 के आधार पर विशेष पुनरीक्षण की मतदाता सूची।