मेरठ में समाजवादी पार्टी ने लंबे अंतराल के बाद संगठनात्मक संतुलन साधते हुए गुर्जर समाज से कर्मवीर सिंह गुमी को नया जिलाध्यक्ष नियुक्त किया है। मंगलवार को लखनऊ में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने उन्हें मनोनयन पत्र सौंपा।

कार्यकर्ताओं ने किया जोरदार स्वागत
नई जिम्मेदारी मिलने के बाद कर्मवीर सिंह गुमी का मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे स्थित काशी टोल प्लाजा पर कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। सुबह से ही बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता फूल-मालाएं लेकर पहुंच गए थे। इस मौके पर गुमी ने कहा कि वे पूरी निष्ठा के साथ संगठन को मजबूत करेंगे और 2027 में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लक्ष्य को साकार करेंगे।

17 साल बाद गुर्जर समाज से जिलाध्यक्ष
कर्मवीर सिंह गुमी परतापुर क्षेत्र के गांव गुमी के निवासी हैं और लंबे समय से पार्टी की राजनीति से जुड़े हुए हैं। लगभग 17 साल बाद सपा ने मेरठ में गुर्जर समाज से किसी नेता को जिलाध्यक्ष बनाया है। इससे पहले वर्ष 2008 में ओपी राणा इस पद पर थे। इसके बाद लगातार जाट समाज के नेताओं को यह जिम्मेदारी मिलती रही।

पिछले दो साल चार महीने से जिलाध्यक्ष रहे विपिन चौधरी को अब प्रदेश कार्यकारिणी में सचिव पद की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें 14 जून 2023 को जिलाध्यक्ष बनाया गया था।

कर्मवीर गुमी का राजनीतिक सफर
गुमी का राजनीति में सफर 1972 में भारतीय किसान दल से शुरू हुआ था। बाद में सपा के गठन के बाद वे पार्टी में शामिल हो गए। वर्ष 2006-07 में उन्होंने बसपा का रुख किया, लेकिन 2008 में दोबारा समाजवादी पार्टी में लौट आए। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलने की चर्चा भी रही, हालांकि टिकट किसी और को दिया गया।

कर्मवीर गुमी ने कहा कि संगठन ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे वे ईमानदारी से निभाएंगे। उन्होंने कहा कि सभी वर्गों को साथ लेकर पार्टी को मजबूत करेंगे और 2027 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जुटेंगे।

विपिन चौधरी का बयान और विवाद की पृष्ठभूमि
विपिन चौधरी ने अपने पद से हटाए जाने पर कहा कि यह पार्टी नेतृत्व का निर्णय है और वे नई जिम्मेदारी के साथ संगठन को मजबूती देने का काम करेंगे।

हालांकि, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया इस साल मई में ही शुरू हो गई थी। 28 मई को हुई एक समीक्षा बैठक में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर तीखी टिप्पणी करते हुए “चोर” शब्द का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद विवाद बढ़ गया था। उनके निशाने पर विधायक शाहिद मंजूर, रफीक अंसारी और अतुल प्रधान थे। इस बयान से तीनों विधायक नाराज हो गए थे। बाद में विपिन चौधरी ने सफाई देते हुए तीनों विधायकों को पार्टी का “कोहिनूर” बताया था, लेकिन तब तक मामला सुर्खियों में आ चुका था।

संगठनात्मक बदलाव के साथ सपा ने मेरठ में नए सिरे से सामाजिक समीकरण साधने का संकेत दे दिया है।