लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की राजनीति अब कृत्रिम और दिशाहीन हो गई है, मानो “कॉपी-पेस्ट” पर चल रही हो। उनके पास न कोई स्पष्ट दृष्टि है, न जनसंपर्क की जमीनी ताकत और न ही उत्साह का भाव। पाठक ने कहा कि सपा सिर्फ जाति और धर्म के आधार पर समाज को बांटने का काम कर रही है, जबकि भाजपा “सबका साथ, सबका विकास” की नीति पर आगे बढ़ रही है।
सपा प्रमुख के बयान पर पलटवार
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को अखिलेश यादव के हालिया बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सपा नेतृत्व प्रदेश में चल रही घुसपैठियों की पहचान और मतदाता सूची से उन्हें हटाने की प्रक्रिया से घबराया हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव जातिगत राजनीति के सहारे इन तत्वों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
पाठक ने कहा कि लगातार चुनावी पराजयों के बाद सपा अध्यक्ष अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने के लिए जातीय गोलबंदी का सहारा ले रहे हैं।
सपा शासनकाल की कानून व्यवस्था पर निशाना
ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव के उस बयान पर भी पलटवार किया, जिसमें उन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि ऐसा सुझाव वही दे सकता है, जिसे भारत की एकता और सनातन संस्कृति से भय हो।
उपमुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सपा की मानसिकता राष्ट्रवादी संगठनों से नहीं, बल्कि पीएफआई और सिमी जैसे कट्टरपंथी संगठनों से मेल खाती है। उन्होंने याद दिलाया कि सपा सरकार के दौरान वर्ष 2013 में आतंकवाद से जुड़े 14 मामलों को एक साथ वापस लिया गया था।
‘प्रदेश अब जाति नहीं, विकास की राजनीति पर चल रहा है’
पाठक ने कहा कि समाजवादी पार्टी का इतिहास इस बात का गवाह है कि उसे आतंकवाद से नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद से डर लगता है। उन्होंने दावा किया कि वर्तमान में प्रदेश में कानून व्यवस्था बेहतर है और महिलाएं सुरक्षित महसूस कर रही हैं।
सपा शासनकाल की अव्यवस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस दौर को जनता अभी तक नहीं भूली है। दीपावली और दीयों को लेकर अखिलेश यादव के बयानों को याद करते हुए पाठक ने कहा कि उनके शब्द उनकी हताशा और राजनीतिक खालीपन को दर्शाते हैं।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश अब जाति और भय की राजनीति से आगे बढ़कर विकास, सुरक्षा और राष्ट्रवाद के मार्ग पर अग्रसर है।