बरेली में हुई हिंसा को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि बरेली में हाल ही में भड़की हिंसा जानबूझकर कराई गई थी ताकि कानपुर के वकील अखिलेश दुबे से जुड़े विवाद से जनता का ध्यान भटकाया जा सके।
यादव ने कहा कि प्रदेश प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह असफल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में अधिकारियों ने उन्हें और सपा के प्रतिनिधिमंडल को बरेली जाने से रोक दिया।
अखिलेश ने बताया कि कानपुर में बारावफात जुलूस के दौरान ‘आई लव मुहम्मद’ पोस्टर को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जिसे कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने मुद्दा बनाया। इसके बाद तनाव फैल गया और 26 सितंबर को बरेली में हिंसा भड़क उठी। उन्होंने इसे सरकार की सोची-समझी रणनीति करार दिया, जिससे जनता का ध्यान अन्य मामलों से हटाया जा सके।
सपा प्रमुख ने प्रदेश पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कानपुर के शीर्ष पुलिस अधिकारी आपसी पोस्टिंग और ट्रांसफर में उलझे हैं। उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार में ‘चुनिंदा कार्रवाई’ करने का आरोप लगाते हुए पूछा कि गरीबों और अल्पसंख्यकों की संपत्तियों पर बुलडोज़र क्यों चलता है, जबकि अखिलेश दुबे जैसे लोगों को संरक्षण मिलता है। यादव ने एक राजस्व अधिकारी पर 100 करोड़ की अवैध संपत्ति बनाने का आरोप भी लगाया।
इसके अलावा, उन्होंने भाजपा सरकार की ‘बुलडोज़र राजनीति’ की आलोचना करते हुए कहा कि यह गरीबों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल हो रही है। यादव ने आरोप लगाया कि पुलिस थानों में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भेदभाव किया जा रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले बुधवार को अखिलेश यादव ने रामपुर में सीनियर सपा नेता आज़म खान से मुलाकात की थी। यादव ने इसे "एक अच्छी और सार्थक बातचीत" बताया।