अलीगढ़ के मडराक क्षेत्र की पराग पेंट्स एंड केमिकल फैक्टरी पिछले लगभग बीस वर्षों से मिलावटी और बायो पेट्रोल-डीजल बनाकर प्रदेशभर में सप्लाई कर रही थी। इसके लिए कच्चा तेल गुजरात सहित अन्य राज्यों से मंगाया जाता था। यह अवैध कारोबार पेट्रो केमिकल और रिफाइनरी लाइसेंस के बहाने संचालित हो रहा था और कथित रूप से कुछ सियासी प्रभावशाली हस्तियों के संरक्षण में फल-फूल रहा था।
फिरोजाबाद में एसटीएफ ने इस प्रदेश स्तरीय नेटवर्क का खुलासा करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें फैक्टरी संचालक कन्हैयालाल वार्ष्णेय और प्रबंधक सर्वेश भी शामिल हैं।
शिकायत से शुरू हुई जांच
उत्तर प्रदेश पेट्रोलियम ट्रेडर्स एसोसिएशन ने शासन को सूचित किया था कि प्रदेश में मिलावटी और बायो पेट्रोल-डीजल बेचा जा रहा है, जिससे व्यापार को नुकसान के साथ ही वाहनों को भी हानि पहुँच रही है। शिकायत के आधार पर एसटीएफ ने 14 नवंबर की शाम मडराक क्षेत्र में फैक्टरी पर छापेमारी की। तीन घंटे की जांच के बाद आपूर्ति विभाग की टीम से नमूने लिए गए और फैक्टरी पर ताले लगाकर संचालक व प्रबंधक को गिरफ्तार किया गया। दोनों को अन्य तीन सहयोगियों के साथ अदालत में पेश कर मुकदमा दर्ज कराया गया।
अवैध कारोबार का स्वरूप
-
निर्माण लागत: 65 रुपये प्रति लीटर
-
दलालों को सप्लाई: 75 रुपये प्रति लीटर
-
पंपों को बेचने का दाम: 85 रुपये प्रति लीटर
-
आपूर्ति वाले जिले: अलीगढ़, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा, कासगंज, मैनपुरी, इटावा, मेरठ, हापुड़, नोएडा, गाजियाबाद, मुरादाबाद, बुलंदशहर, बदायूं, बरेली, अमरोहा, संभल, मथुरा आदि।
नियमों का उल्लंघन और नुकसान
-
फैक्टरी में केमिकल की आड़ में मिलावटी पेट्रोलियम उत्पाद तैयार करना।
-
अग्निशमन एनओसी के बिना टैंकरों से माल का परिवहन।
-
आपूर्ति, निर्यात और जीएसटी में बड़े स्तर पर धोखाधड़ी।
-
मिलावटी तेल से वाहन इंजन जल्द खराब हो सकते हैं।
-
हाईस्पीड व लाइट डीजल पेट्रोल अधिनियम तथा वितरण अधिनियम का उल्लंघन।
संचालक और प्रबंधक का बयान
एसटीएफ के अनुसार, संचालक कन्हैयालाल और प्रबंधक सर्वेश ने स्वीकार किया कि फैक्टरी उनके परिवार के नाम—पत्नी चित्रा और बेटे गौरव—पर पंजीकृत है। पेट्रो केमिकल-एक्सप्लोसिव और रिफाइनरी का लाइसेंस भी इनके नाम पर था। दोनों ने माना कि पैसे की लालच में उन्होंने दो दशक से मिलावटी और बायो पेट्रोल-डीजल का निर्माण शुरू किया। क्रूड ऑयल से तय मानकों के अनुसार केमिकल मिलाकर यह पेट्रोलियम पदार्थ तैयार किया जाता था और प्रदेशभर में भरोसेमंद दलालों के जरिए सप्लाई की जाती थी।
फर्जी बिल और भंडाफोड़
संचालक-प्रबंधक ने बताया कि टैंकर माल ले जाते समय फर्जी केमिकल बिल बनाकर वितरण किया जाता था। इसी छल से यह अवैध कारोबार चलता रहा। शुक्रवार को जब एसटीएफ टीम फैक्टरी पहुंची, तब आपूर्ति विभाग के निरीक्षकों ने छह नमूने लिए। फैक्टरी में 13 टैंकों में कुल 96,000 लीटर पेट्रोलियम पदार्थ और आठ छोटे ड्रमों में अतिरिक्त माल पाया गया।