अलीगढ़। जिले के गांवों में मंदिरों की दीवारों पर ‘आई लव मुहम्मद’ लिखे जाने से फैले तनाव के बीच पुलिस ने इस पूरे मामले का पर्दाफाश कर दिया है। जांच में सामने आया कि इस साजिश के पीछे जीशांत और दिलीप की मुख्य भूमिका थी, जबकि अन्य आरोपितों ने भी इसमें साथ दिया।

घटना के बाद एसएसपी नीरज कुमार जादौन स्वयं गांव पहुंचे और ग्रामीणों से जानकारी ली। इसी दौरान जीशांत भी मौके पर मौजूद था और खुद को बेगुनाह बताते हुए पुलिस के साथ घूमता रहा। उसने माहौल खराब करने वालों के बारे में जानकारी देने का दिखावा किया, जबकि उसी ने रात में मंदिरों की दीवारों पर धार्मिक नारे लिखे थे।

दिलीप बना पुलिस के लिए कमजोर कड़ी

पूरे घटनाक्रम के दौरान दिलीप निगरानी का काम कर रहा था। जब जीशांत मंदिरों पर नारे लिख रहा था, तब वह आसपास की गलियों में नजर रख रहा था ताकि कोई देख न ले। सबसे पहले उन्होंने बुलाकगढ़ी गांव से यह काम शुरू किया, जहां मंदिर गांव के बाहर सड़क किनारे स्थित थे। इसके बाद वे भगवानपुर गांव पहुंचे और वहां भी दीवारों पर धार्मिक नारे लिखे।
दोनों को यह काम पूरा करने में करीब डेढ़ घंटा लगा। पुलिस ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो उसमें जीशांत बाइक पर आता-जाता दिखाई दिया, जिससे पुलिस को शक हुआ।

पहले जीशांत को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई, लेकिन उसने खुद को निर्दोष बताया। वह एसएसपी से मिलने तक गया था ताकि शक उस पर न जाए। पुलिस ने उस पर दबाव बनाने के बजाय 26 अक्टूबर से लापता दिलीप की तलाश शुरू की।

दिलीप ने तोड़ी चुप्पी, खुला राज़

पुलिस की दबिश बढ़ने पर दिलीप पहले गाजियाबाद और फिर हरियाणा भाग गया, जहां वह एक होटल में ठहरा था। गिरफ्तारी के बाद उसने पूछताछ में पूरी सच्चाई उगल दी और स्वीकार किया कि वही जीशांत के साथ घटनास्थल पर मौजूद था। इसी स्वीकारोक्ति के बाद पुलिस ने अन्य आरोपितों को भी एक-एक कर गिरफ्तार कर लिया।

पढ़ा-लिखा आरोपी निकला मुख्य साजिशकर्ता

पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि मंदिरों की दीवारों पर लिखावट एक जैसी और साफ-सुथरी थी, जिससे पता चला कि यह किसी पढ़े-लिखे व्यक्ति का काम है। जांच में पुष्टि हुई कि जीशांत, जो स्नातक की पढ़ाई कर रहा है, वही इसका मास्टरमाइंड था। उसका बड़ा भाई एक स्कूल संचालित करता है, और इसी स्कूल में अध्यापन को लेकर पहले उसका एक मौलाना से विवाद भी हो चुका था।

इसके अलावा अभिषेक और राहुल के भी इस मामले में शामिल होने के साक्ष्य मिले हैं। लोधा थानाध्यक्ष अंकित सिंह के अनुसार, इस पूरी साजिश में मुख्य भूमिका जीशांत और राहुल की रही, जबकि दिलीप और अन्य ने सहयोग किया।