इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पुलिस को अपनी मर्जी से किसी की हिस्ट्रीशीट खोलने का अधिकार नहीं है। केवल आठ साल पुराने मुकदमे के आधार पर किसी को आदतन अपराधी नहीं माना जा सकता। इस टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थनगर के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें हिस्ट्रीशीट बंद करने की अर्जी खारिज की गई थी। यह फैसला न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति संतोष राय की खंडपीठ ने मोहम्मद वजीर की याचिका पर सुनाया।
सिद्धार्थनगर निवासी मोहम्मद वजीर ने पुलिस अधीक्षक के 23 जून 2025 के आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। उनके वकील ने बताया कि वजीर सम्मानित नागरिक हैं और उनके खिलाफ केवल 2016 में गोवध अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज है। पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 मार्च 2025 को वजीर की याचिका पर निर्देश दिया था कि वह पुलिस अधीक्षक के पास आवेदन करें और उचित विचार के बाद निर्णय लें।
निर्देशानुसार वजीर ने आवेदन दिया, लेकिन 23 जून को उनकी अर्जी खारिज कर दी गई। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि मोहम्मद वजीर की हिस्ट्रीशीट को बंद किया जाए और इसके आधार पर उनकी निगरानी न की जाए।