इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत निवासी रहीमुद्दीन की याचिका खारिज करते हुए कहा कि लंबित आपराधिक मामलों में पासपोर्ट की अवधि सीमित करना कानूनी रूप से उचित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि संबंधित अदालत पासपोर्ट के लिए अनुमति देते समय समयसीमा निर्दिष्ट नहीं करती, तो ऐसे मामलों में पासपोर्ट केवल एक साल की अवधि के लिए ही जारी किया जा सकता है

रहीमुद्दीन के खिलाफ 2016 से पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट और धारा 447 आईपीसी के तहत एक आपराधिक मामला लंबित है। उन्होंने 10 साल के लिए पासपोर्ट जारी करने का आवेदन हाईकोर्ट में किया था, जबकि उन्हें फिलहाल 20 जनवरी 2025 से 19 जनवरी 2026 तक वैध पासपोर्ट ही जारी किया गया है।

न्यायमूर्ति अजीत कुमार और न्यायमूर्ति स्वरूपमा चतुर्वेदी की खंडपीठ ने बताया कि पासपोर्ट अधिनियम, 1967 और केंद्र सरकार की 25 अगस्त 1993 की अधिसूचना के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ मामला लंबित है और अदालत पासपोर्ट की अवधि निर्दिष्ट नहीं करती, तो अधिकारी केवल एक साल का पासपोर्ट जारी कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह कदम इसलिए आवश्यक है ताकि जांच एजेंसियों या अदालत कभी भी आरोपी की उपस्थिति सुनिश्चित कर सके।

हालांकि याचिका खारिज कर दी गई, कोर्ट ने रहीमुद्दीन को यह अधिकार दिया कि वे पासपोर्ट की वैधता समाप्त होने से पहले नवीनीकरण के लिए फिर से आवेदन कर सकते हैं