इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर अधिनियम के अनुचित इस्तेमाल पर गंभीर नाराज़गी जाहिर की है। अदालत ने मुजफ्फरनगर जिले के एक पुराने मामले में गैंगस्टर एक्ट लागू करने को लेकर जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाना प्रभारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
यह निर्देश न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने मंशाद उर्फ सोना द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बार-बार गैंगस्टर कानून के तहत जेल भेजे जाने पर असंतोष व्यक्त करते हुए उसकी अंतरिम ज़मानत को मंजूरी दे दी।
याची के खिलाफ खालापार थाना क्षेत्र में पूर्व में दर्ज मामलों के आधार पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया था, और वह वर्तमान में जेल में बंद है। ट्रायल कोर्ट से ज़मानत अर्जी खारिज होने के बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। उसके वकील का तर्क था कि बीते मामलों को आधार बनाकर लगातार गैंगस्टर कानून लगाना मनमानी है और यह कानून की प्रक्रिया के विपरीत है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह कार्रवाई न केवल थाना प्रभारी की स्वेच्छाचारी प्रवृत्ति को दर्शाती है, बल्कि वरिष्ठ अधिकारियों — जिलाधिकारी और एसएसपी — की लापरवाही और उनके संवैधानिक कर्तव्यों के प्रति उदासीनता को भी उजागर करती है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर नियमावली 2021 के नियम 5(3)(ए) के तहत, ऐसे मामलों में कार्रवाई से पहले वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उचित जांच और विवेक आवश्यक है, लेकिन इस मामले में इन नियमों का पूर्णतः उल्लंघन किया गया है।
अदालत ने याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जता चुका है और 2024 में उत्तर प्रदेश सरकार को इस कानून के क्रियान्वयन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करने का निर्देश दे चुका है। इसके अनुपालन में 2 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार ने एक विस्तृत चेकलिस्ट जारी की थी, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने भी मान्यता दी थी।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि गैंगस्टर एक्ट का इस तरह 'स्वचालित और बार-बार' इस्तेमाल न केवल न्यायिक आदेशों की अवहेलना है, बल्कि नागरिकों की स्वतंत्रता के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई को तय की है और संबंधित अधिकारियों को उस दिन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपने आचरण का स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।