इलाहाबाद। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पत्नी शिक्षित है और कमा सकती है, इस आधार पर भरण-पोषण के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति मदनपाल सिंह की एकलपीठ ने परिवार न्यायालय द्वारा पत्नी के पक्ष में 40 हजार रुपये प्रति माह भरण-पोषण के आदेश को चुनौती देने वाली कानपुर नगर निवासी गौरव गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी।

मामले की पृष्ठभूमि
गौरव गुप्ता की शादी 10 अक्टूबर 2018 को रितिका से हुई थी और उनके घर एक बेटी है। कुछ समय बाद पति-पत्नी में विवाद बढ़ गया और गौरव ने तलाक के लिए परिवार न्यायालय में अर्जी दाखिल कर दी। इसके जवाब में पत्नी ने 14 फरवरी 2022 को भरण-पोषण की मांग की। परिवार न्यायालय ने 8 अक्टूबर 2024 को पत्नी और बेटी के लिए क्रमशः 20-20 हजार रुपये प्रति माह भरण-पोषण का आदेश दिया। गौरव ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

पति की दलील और कोर्ट का निर्णय
गौरव के अधिवक्ता ने कहा कि भरण-पोषण की राशि ज्यादा है, क्योंकि पति की मासिक आय 20 हजार रुपये है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पत्नी पढ़ी-लिखी है और इंटीरियर डिजाइनिंग की डिग्री प्राप्त है। शादी से पहले और बेटी के जन्म तक वह काम कर रही थी और अच्छा कमाती थी।

हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि वर्तमान में बच्ची की देखभाल के कारण पत्नी काम नहीं कर पा रही है। अदालत ने यह भी पाया कि पति ने अपनी आय छिपाई है और उसके पास पत्नी और बच्ची का भरण-पोषण करने के पर्याप्त साधन मौजूद हैं।

पूर्व अदालत के फैसले का हवाला
कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एक सक्षम और स्वस्थ व्यक्ति को अपनी पत्नी और बच्चों के लिए पर्याप्त आय उत्पन्न करने में सक्षम माना जाता है। इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के 40 हजार रुपये प्रति माह भरण-पोषण के आदेश को बरकरार रखा और गौरव गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी।