उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में 2020 में सामने आए अनामिका शुक्ला केस ने विभाग की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। इस मामले में एक ही नाम के दस्तावेजों का उपयोग कर 25 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में फर्जी नियुक्तियां की गईं और करोड़ों रुपये का वेतन हड़प लिया गया।
स्थानीय जनसंवाद मंच के कार्यकर्ता प्रदीप कुमार पांडेय ने आरोप लगाया कि बेसिक शिक्षा विभाग में एक संगठित सिंडिकेट सक्रिय था, जिसने डेटा लीक और फर्जी नियुक्तियों के जरिए सरकारी धन का गबन किया। इस खेल में अनामिका शुक्ला का नाम प्रमुख रूप से सामने आया, लेकिन मामला अब और उलझ गया है।
कोर्ट ने FIR दर्ज करने के निर्देश दिए
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंकित सिंह ने बीएसए, वित्त एवं लेखा अधिकारी और छह अन्य लोगों पर FIR दर्ज करने का आदेश दिया। प्रदीप कुमार पांडेय की ओर से दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी हुआ। पांडेय ने आरोप लगाया कि अनामिका शुक्ला की डिग्री का दुरुपयोग कर सरकारी धन का गबन किया गया। कोर्ट ने नगर कोतवाली पुलिस को 10 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
कैसे शुरू हुआ घोटाला
2020 में बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षक डेटा का डिजिटल डेटाबेस तैयार किया। इसी दौरान पता चला कि एक ही नाम, अनामिका शुक्ला, के दस्तावेजों से 25 विद्यालयों में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियां हुईं, जिनके जरिए 13 महीनों में लगभग 1 करोड़ रुपये का वेतन दिया गया। जांच में पता चला कि फर्जी नियुक्ति करने वाली महिला का असली नाम प्रिया जाटव था। उसे फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी दिलाने वाले मैनपुरी निवासी राज और उसके भाई जसवंत सिंह को गिरफ्तार किया गया।
पीड़ित या आरोपी?
इस केस में असली अनामिका शुक्ला ने दावा किया कि उसके दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर फर्जी नियुक्तियां की गईं। हालांकि जांच में यह भी सामने आया कि वह खुद इस खेल की लाभार्थी भी रही।
वित्तीय अनियमितताओं का जाल
प्रदीप कुमार पांडेय ने खुलासा किया कि 2024 तक अनामिका के वेतन का भुगतान फाइनेंस एंड अकाउंट ऑफिसर की ओर से बिना किसी वैध आदेश के किया गया। बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी और वित्त कार्यालय के कर्मचारी इस सिंडिकेट में शामिल थे।
शिक्षा माफिया का खेल
अनामिका शुक्ला केस सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं है। यह उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में गहरे पैठे शिक्षा माफिया के खेल का हिस्सा है। सिंडिकेट कई अन्य युवाओं के डेटा का गलत इस्तेमाल कर फर्जी नियुक्तियां कर रहा था।
अन्य घोटाले की पुष्टि
2025 में अलीगढ़ में भी 12 बीएसए और 30 खंड शिक्षा अधिकारियों पर जीपीएफ खातों से धन निकालकर निजी उपयोग करने का मामला सामने आया। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताएं जड़ें जमा चुके हैं।
न्याय की मांग
प्रदीप कुमार पांडेय ने न्यायालय से इस मामले की गहन जांच की मांग की है, ताकि सभी सिंडिकेट सदस्यों का पर्दाफाश हो और सरकारी धन की लूट रोकी जा सके। अनामिका शुक्ला के इर्द-गिर्द घूमते इस घोटाले में उत्तर प्रदेश के हजारों युवाओं के सपनों को भी खतरा है। सवाल यह है कि क्या अनामिका वास्तव में पीड़ित है, या यह पूरा खेल उसकी ओर से भी संचालित किया गया?