जम्मू-कश्मीर। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने शनिवार को गांदरबल जिले की मानसबल झील में स्थित प्राचीन मंदिर का विस्तृत दस्तावेजीकरण किया। इस पहल में उन्नत वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग किया गया, जिससे मंदिर की संरचना और जलमग्न होने के कारणों का सटीक अध्ययन संभव हो सका।
केंद्रीय सांस्कृतिक मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हाल ही में इस मंदिर का दौरा किया था और इसके दस्तावेजीकरण के निर्देश दिए थे। इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था और यह स्थानीय पत्थरों से निर्मित है। मंदिर की दो पिरामिड जैसी छतें हैं और यह साल के अधिकांश समय आंशिक रूप से पानी में डूबा रहता है। कश्मीर में झील के किनारे स्थित यह स्मारक अपने आप में दुर्लभ है।
ASI ने इस परियोजना में दूर से संचालित वाहनों (ROV) और उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले पानी के अंदर कैमरों का इस्तेमाल कर मंदिर का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार किया। झील के तल का मानचित्रण भी किया गया, ताकि जलमग्न होने के कारणों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा सके। यह उत्तर भारत के उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पहली बार की गई अंतर्जलीय पुरातात्विक पहल है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अतिरिक्त महानिदेशक प्रो. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में अंतर्जलीय पुरातत्व विंग की टीम ने इस परियोजना को अंजाम दिया। इस टीम में डॉ. अपराजिता शर्मा और डॉ. राजकुमारी बारबीना भी शामिल थीं।
ASI के अधिकारियों का कहना है कि इस दस्तावेजीकरण से भविष्य में मंदिर के संरक्षण और पर्यटकों के अनुकूल बनाने के प्रयासों में मदद मिलेगी। साथ ही, आभासी पुनर्निर्माण के माध्यम से आगंतुकों के अनुभव को भी बेहतर बनाया जा सकेगा।