राम मंदिर के शिखर पर धर्मध्वज फहराए जाने के बाद बुधवार को अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। केसरिया ध्वज और मंदिर की दिव्य आभा ने वातावरण को भक्तिरस से भर दिया। सुबह की पहली किरण जैसे ही मंदिर के शिखर पर लहराते झंडे पर पड़ी, पूरे परिसर में एक अलौकिक माहौल बन गया। इस दिन लगभग दो लाख लोगों ने रामलला के दर्शन किए।
भक्तों ने बताया कि रामलला का रूप अत्यंत दिव्य और शांतिदायक प्रतीत हुआ। मंदिर में गूंजते जयघोष, शंखनाद और आभा से भरा माहौल श्रद्धालुओं को भावविभोर करता रहा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने छह कतारों में दर्शन की व्यवस्था की। मंदिर निर्धारित समय सुबह सात बजे खुलना था, लेकिन भक्त सुबह पांच बजे से ही दर्शन पथ पर इकट्ठा होने लगे।
राम मंदिर ट्रस्ट ने पहले 25 नवंबर को ध्वजारोहण के चलते आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद रहने की घोषणा की थी। लेकिन समारोह और अतिथियों के भ्रमण के समापन के बाद दोपहर तीन बजे ही मंदिर खोला गया और रात साढ़े नौ बजे तक दर्शन जारी रहे। एसपी सुरक्षा बलरामाचारी दुबे ने बताया कि इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या दो लाख से अधिक रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 191 फीट ऊंचे शिखर पर धर्मध्वज फहराया। अब मंदिर ट्रस्ट और तकनीकी विशेषज्ञ यह तय कर रहे हैं कि ध्वज साल में कितनी बार और किन अवसरों पर बदला जाएगा। वर्तमान में विजयदशमी पर ध्वज परिवर्तन की परंपरा है, लेकिन रामनवमी और अन्य त्योहारों पर भी इसे बदलने पर विचार चल रहा है।
ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि 191 फीट ऊंचाई पर हवा का दबाव ज़मीन की तुलना में लगभग दोगुना होता है। वर्तमान ध्वज लगभग 40 किलो वजन वाले विशेष धातु आधारित डंडे पर स्थापित है, जिसमें दो किलो का झंडा 22 फीट लंबा और 11 फीट ऊँचा है। ध्वज परिवर्तन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जटिल इंजीनियरिंग प्रक्रिया है। सुरक्षा, तकनीकी और वैज्ञानिक मानकों को ध्यान में रखते हुए ट्रस्ट लगातार विशेषज्ञों से सलाह ले रहा है ताकि यह प्रक्रिया सुरक्षित और निर्बाध रूप से संपन्न हो सके।