रामपुर में बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की यात्रा और जेल से रिहा पूर्व मंत्री आजम खां से उनकी मुलाकात ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने इस मौके का सपा अध्यक्ष पर निशाना साधने के लिए इस्तेमाल किया।
पंचायती राज मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि 23 महीने तक जेल में रहने के बावजूद आजम से मिलने से परहेज करने वाले अखिलेश का आजम के दरवाजे पर जाना उनकी राजनीतिक मजबूरी को दर्शाता है। राजभर ने कहा कि सपा अध्यक्ष यह डरते थे कि चाचा शिवपाल और आजम मिलकर कहीं उनकी पार्टी के भीतर कोई खेल न कर दें। अखिलेश का आजम के घर पहुंचना इस बात का प्रमाण है कि आजम की राजनीतिक हनक अभी भी कायम है।
सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर ने भी अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा कि वे 23 महीने तक जेल में रहे आजम की सुध नहीं लिए, लेकिन अब वोटबैंक को साधने के लिए रामपुर पहुंचे हैं। उनका दावा है कि सपा अध्यक्ष की मुलाकात का उद्देश्य मुस्लिम वोटबैंक को प्रभावित करना और आजम को राजनीतिक विकल्प के रूप में खड़ा करना है।
परिवहन राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि अगर अखिलेश को सचमुच आजम की चिंता होती, तो वे जमानत मिलने के तुरंत बाद उनसे मिलने जाते। राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने भी आरोप लगाया कि यह मुलाकात महज मुसलमानों को प्रभावित करने की राजनीतिक चाल है। उन्होंने कहा कि आजम के जेल में रहने के दौरान भी अखिलेश उनसे कभी नहीं मिले, और अब आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
इस तरह, रामपुर में सपा अध्यक्ष की यात्रा और आजम खां से मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस और सियासी तकरार को जन्म दे दिया है।