गांवों में घर बनाने के लिए मिलेगा बैंक लोन, ‘घरौनी’ विधेयक को कैबिनेट की मंजूरी

उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अब लोग अपने घर के निर्माण के लिए बैंकों से ऋण ले सकेंगे। राज्य सरकार ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विवाद रहित आबादी भूमि पर मालिकाना हक देने के लिए उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी है। राजस्व, वित्त और न्याय विभाग सहित सभी संबंधित विभागों ने इस विधेयक के मसौदे पर सहमति दे दी है।

इस विधेयक के माध्यम से प्रदेश के गांवों में मकान मालिकों को घरौनी प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जो न केवल स्वामित्व का प्रमाण होगा बल्कि इसके आधार पर बैंक लोन की सुविधा भी प्राप्त होगी। अभी तक राज्य में 1.06 करोड़ से अधिक घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं, जिनमें से लगभग 1.01 करोड़ लोगों को वितरित भी की जा चुकी हैं।

ड्रोन तकनीक के माध्यम से गांवों में आबादी भूखंडों का सर्वे कराया जा रहा है और भारत सरकार की ‘स्वामित्व योजना’ के तहत इन पर स्वामित्व अभिलेख तैयार किए जा रहे हैं।

नामांतरण, विरासत और अन्य बदलाव अब होंगे सरल

विधेयक के अंतर्गत घरौनी जारी होने के बाद किसी भी प्रकार के नामांतरण, विरासत, विक्रय, उपहार, वसीयत या पारिवारिक समझौते के आधार पर मालिकाना नाम में बदलाव संभव होगा। निर्विवाद उत्तराधिकार मामलों में राजस्व निरीक्षक को नाम परिवर्तन का अधिकार दिया गया है, जबकि अन्य मामलों में तहसीलदार और नायब तहसीलदार यह कार्य करेंगे।

भूमि के विभाजन या उपविभाजन की स्थिति में कानूनगो को अधिकार मिलेगा कि वह संबंधित व्यक्ति के नाम को रिकॉर्ड में दर्ज करे। किसी clerical त्रुटि, मोबाइल नंबर या पते में बदलाव जैसे अद्यतन कार्यों को भी विधेयक के तहत सरल बनाया गया है।

यूपी बनेगा लेदर और नॉन-लेदर फुटवियर का हब, नई नीति से मिलेंगे 22 लाख रोजगार

उत्तर प्रदेश सरकार ने चमड़ा और इससे जुड़े क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फुटवियर, लेदर और नॉन-लेदर क्षेत्र विकास नीति-2025 को कैबिनेट की मंजूरी दे दी है। इस नीति से राज्य में लगभग 22 लाख नए रोजगार सृजित होने की संभावना है, जबकि वर्तमान में यह क्षेत्र 15 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहा है।

गुरुवार को जानकारी देते हुए MSME मंत्री राकेश सचान ने बताया कि भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लेदर उत्पादक और उपभोक्ता है और इसमें उत्तर प्रदेश की अहम भागीदारी है। कानपुर और उन्नाव में 200 से ज्यादा टेनरियां सक्रिय हैं, वहीं आगरा को देश की फुटवियर राजधानी माना जाता है।

पूरा ईकोसिस्टम विकसित करने की तैयारी

नई नीति के तहत केवल जूते-चप्पल निर्माण इकाइयों को ही नहीं, बल्कि इससे जुड़ी सहायक इकाइयों जैसे—बकल्स, ज़िप, सोल, इनसोल, लेस, केमिकल्स, रंग, हील्स, धागे, टैग्स और लेबल्स के निर्माण को भी विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।

इसके अतिरिक्त चमड़ा सिलाई, कटिंग, मोल्डिंग, नॉन-लेदर सेफ्टी शूज आदि के लिए जरूरी मशीनरी और तकनीक से जुड़ी इकाइयों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। नीति में डिजाइन, अनुसंधान, निर्यात और प्रशिक्षण से जुड़े सेक्टरों को भी शामिल किया गया है, जिससे एक एकीकृत फुटवियर मैन्युफैक्चरिंग ईकोसिस्टम तैयार किया जा सके।

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