यूपी में बंद हुई सिटी ट्रांसपोर्ट सेवा से प्रभावित परिचालकों के लिए बड़ी राहत की खबर है। डीज़ल और सीएनजी बसों का संचालन ठप होने के बाद बेरोजगार हुए 500 से ज्यादा परिचालकों को अब दोबारा काम मिलने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य सरकार ने इन्हें परिवहन निगम में संविदा पर नियुक्त करने का निर्णय लिया है।
परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक पी.एन. सिंह के अनुसार, वर्ष 2009 से महानगर परिवहन सेवा में कार्य कर रहे इन परिचालकों का अनुभव विभाग के लिए उपयोगी रहेगा। उन्होंने बताया कि जब उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में शहरी परिवहन सेवा की शुरुआत हुई थी, तभी इन परिचालकों को निगम ने सीधे नियुक्त किया था। उस दौरान सीएनजी और डीज़ल बसों का संचालन निगम के पर्यवेक्षकों और अधिकारियों की देख-रेख में शुरू हुआ था।
बीते कुछ वर्षों में इन बसों की निर्धारित आयु पूरी होने के कारण उनका संचालन बंद हो गया और वाहन नीलामी की प्रक्रिया में हैं। इसी के चलते बड़ी संख्या में परिचालक बेरोजगार हो गए थे। अब परिवहन निगम ने निर्णय लिया है कि लंबे अनुभव को देखते हुए इन कर्मचारियों को निर्धारित शर्तों के साथ दोबारा जोड़ा जाएगा। विभाग का मानना है कि इससे न केवल अनुभवी स्टाफ वापस मिलेगा, बल्कि परिचालकों की कमी भी दूर हो जाएगी।
किन शर्तों पर मिलेगा दोबारा मौका?
निगम के एमडी के अनुसार, दोबारा नियुक्ति के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं-
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आवेदक के पास वैध परिचालक लाइसेंस होना चाहिए।
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उसके विरुद्ध कोई आपराधिक मुकदमा दर्ज न हो।
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पहले किया गया अनुबंध कभी निरस्त न हुआ हो।
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न्यूनतम योग्यता के रूप में इंटर पास होना जरूरी है।
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किसी मान्यता प्राप्त संस्था से सीसीसी कंप्यूटर कोर्स का प्रमाण पत्र अनिवार्य है।
जिन परिचालकों के पास सीसीसी प्रमाणपत्र नहीं है, उन्हें इसे प्राप्त करने के लिए छह महीने का समय दिया जाएगा। नियुक्त परिचालकों की वरिष्ठता उनकी जॉइनिंग तिथि से मानी जाएगी।