लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोक निर्माण विभाग (PWD) की वार्षिक कार्ययोजना अभी तक तैयार नहीं हो सकी है, जिससे इस साल भी सड़कों और पुलों के निर्माण में बाधा आने की आशंका है। पिछले वर्ष की तरह ही, इस बार भी विभाग की धीमी प्रक्रिया सरकार के विकास कार्यों को प्रभावित कर सकती है।
पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने विभाग को विकास योजनाओं के लिए 31,000 करोड़ रुपये का बजट दिया था। लेकिन समय पर योजना नहीं बनने के कारण लगभग 7,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू ही नहीं हो सकीं, और अंततः यह राशि वापस करनी पड़ी। मौजूदा हालात भी कुछ ऐसे ही नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो स्वयं PWD के प्रभारी मंत्री हैं, ने अधिकारियों को समयबद्ध योजना तैयार करने और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि सभी जिलों से विधायकों और सांसदों के सुझाव लेकर प्रस्ताव बनाएं, ताकि राज्यभर में समान रूप से सड़क और सेतु निर्माण हो सके।
हालांकि विभाग तीन बार योजना का प्रारूप तैयार कर चुका है, लेकिन जनप्रतिनिधियों के सुझावों की अनदेखी के कारण मुख्यमंत्री ने इसे अस्वीकार कर दिया। उन्होंने दोबारा स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी जिलाधिकारियों के माध्यम से समस्त जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों को शामिल किया जाए, तभी योजना को स्वीकृति दी जाएगी।
इसके तहत जून में एक नया ड्राफ्ट मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किया गया था, लेकिन उन्होंने उसमें कुछ संशोधनों की जरूरत बताई और 30 जून तक अंतिम प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया। लेकिन अब जुलाई मध्य होने के बाद भी योजना को अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
इस वित्तीय वर्ष में विभाग को 33,200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। लेकिन वित्तीय वर्ष के साढ़े तीन महीने बीत चुके हैं और बरसात के मौसम के कारण सितंबर तक निर्माण कार्य शुरू कर पाना कठिन होगा। ऐसे में साल के बचे हुए छह महीनों में पूरे वर्ष का लक्ष्य हासिल करना विभाग के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।
विभागाध्यक्ष ए.के. द्विवेदी ने बताया कि अधिकांश जिलों से प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं और जल्द ही अंतिम कार्ययोजना तैयार कर मुख्यमंत्री को प्रस्तुत की जाएगी।