वाराणसी में भगवान बिरसा मुंडा पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीखे शब्दों में उन लोगों की आलोचना की जो कांवड़ यात्रा को लेकर नकारात्मक टिप्पणियाँ करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ यात्रा एक समावेशी परंपरा है, जिसमें समाज के हर वर्ग – श्रमिक से लेकर उच्च वर्ग तक – श्रद्धा और भक्ति के साथ भाग लेता है। इसमें न जाति का भेद है, न वर्ग का और न ही क्षेत्र का। लोग ‘हर-हर बम-बम’ का जयघोष करते हुए भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं।
उन्होंने कहा कि इस धार्मिक यात्रा को लेकर कुछ तत्व मीडिया के जरिये गलत छवि प्रस्तुत करते हैं और कांवड़ियों को बदनाम करते हैं, जिसे भारत की सांस्कृतिक विरासत और श्रद्धा का अपमान बताया। मुख्यमंत्री ने कांवड़ियों को ‘आतंकवादी’ कहे जाने की निंदा करते हुए इसे मानसिक विकृति करार दिया।
सीएम योगी ने आरोप लगाया कि वही लोग जो कांवड़ यात्रा का अपमान करते हैं, उन्होंने ही जनजातीय समुदाय को भारत की मुख्यधारा से अलग करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर जातीय तनाव फैलाने का प्रयास करते हैं। ऐसी मानसिकता से देश की एकता को खतरा है और इससे सतर्क रहना आवश्यक है।
बिरसा मुंडा की विरासत को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी प्रेरणा आज भी राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता की दिशा में मार्गदर्शन देती है। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन और जमींदारी प्रथा के शोषण के विरुद्ध जो आंदोलन खड़ा किया, वह आज भी प्रेरणादायक है।
मुख्यमंत्री ने जौनपुर की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब ताजिया निकालते समय लोग हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर घायल हो गए और बाद में सड़क जाम कर दी गई, तो उन्होंने निर्देश दिया कि उपद्रव करने वालों को बलपूर्वक हटाया जाए। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, "ये लातों के भूत हैं, जो बातों से नहीं मानते।"
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे जातीय उकसावे के प्रयासों से बचना होगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी गांव में दो व्यक्तियों का विवाद है, तो उसे सुलझाने की जिम्मेदारी प्रशासन की है। आम नागरिकों को ज़बरदस्ती हस्तक्षेप करने की बजाय संयम बरतना चाहिए, अन्यथा परिणाम भुगतने होंगे।